Class 9 NCERT Sanskrit Shemushi Part 1 Chapter 9 Siktasetu

Class 9 NCERT Sanskrit Shemushi Part 1 Chapter 9 Siktasetu | HINDI TRANSLATION | QUESTION ANSWER | कक्षा – 9 संस्कृत शेमूषी भाग – 1 नवमः पाठः सिकतासेतुः | हिन्दी अनुवाद | अभ्यास:

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नवमः पाठः

सिकतासेतुः

Class 9 NCERT Sanskrit Shemushi Part 1 Chapter 9 Siktasetu

( हिन्दी अनुवाद )

प्रस्तुतः नाट्यांशः सोमदेवविरचितः ” कथासरित्सागरः ” इत्यस्य सप्तमाध्यायोपरि आधारितोऽस्ति। अस्मिन् नाट्यांशे तपसा विद्यां प्राप्तुं यत्नशीलः कश्चित् तपोदत्तनामकः कुमारः चित्रितः अस्ति। तस्य मार्गदर्शनाय पुरुषवेषधारी देवराजः इन्द्रः तत्र आगतवान्। तत्र आगत्य देवराजः सिकताभिः सेतुनिर्माणार्थं प्रयतते। एतद् दृष्ट्वा तपोदत्तः प्रहसन् वदति किमर्थं भो ! बालुकाभिः जलबन्धं निर्मासि ? ततो देवराजः प्रतिवक्ति यद्यद् अध्ययनं श्रवणं पठनं विना यदि त्वं विद्यां प्राप्तुं शक्नोषि तदा अहमपि बालुकाभिः सेतुनिर्माणं कर्तुं शक्नोमि। देवराजस्य अभिप्रायं ज्ञात्वा तपोदत्त: विद्याप्राप्तिकामः गुरुकुलं गतवान्।

Class 9 Sanskrit Chapter 9

हिन्दी अनुवाद – प्रस्तुत नाटक के अंश सोमदेव द्वारा विरचित ” कथासरित्सागर ” इसके  सप्तम अध्याय के ऊपर आधारित है। इस नाटक के अंश में तपोबल से विद्या प्राप्त करने प्रयत्नशील किसी तपोदत्त नामक कुमार का वर्णन है। उसके समुचित मार्गदर्शन के लिए पुरुषवेषधारी देवराज इन्द्र वहाँ आते हैं। वहाँ आकर देवराज गंगा में बालू के द्वारा सेतु का निर्माण करने में लग जाते है।

यह देखकर तपोदत्त उनका उपहास करता हुआ बोलता है- अरे किसलिए! बालू के द्वारा जल को बांधने का प्रयास करते हो ? तब इंद्रा उसे उत्तर देते है कि यदि पढ़ने, सुनने और अक्षरों की लिपि के अभ्यास के बिना तुम विद्या पा सकते हो। तब मैं भी बालू से सेतु का निर्माण कर सकता हूँ। देवराज का अभिप्राय जानकर तपोदत्त विद्या प्राप्ति का इच्छुक होकर गुरुकुल चला जाता है।

Sanskrit Class 9 Chapter 9

1. ( ततः प्रविशति तपस्यारतः तपोदत्तः )

तपोदत्तः – अहमस्मि तपोदत्तः। बाल्ये पितृचरणैः क्लेश्यमानोऽपि विद्यां नाऽधीतवानस्मि। तस्मात् सर्वैः कुटुम्बिभिः मित्रैः ज्ञातिजनैश्च गर्हितोऽभवम्।

( ऊर्ध्वं निःश्वस्य )

हा विधे! किम् इदं मया कृतम् ? कीदृशी दुर्बुद्धिः आसीत् तदा। एतदपि न चिन्तितं यत्

परिधानैरलङ्कारैर्भूषितोऽपि न शोभते।

नरो निर्मणिभोगीव सभायां यदि वा गृहे।।1।।

( किञ्चिद् विमृश्य )

भवतु, किम् एतेन ? दिवसे मार्गभ्रान्तः सन्ध्यां यावद् यदि गृहमुपैति तदपि वरम्। नाऽसौ भ्रान्तो मन्यते। अतोऽहम् इदानीं तपश्चर्यया विद्यामवाप्तुं प्रवृत्तोऽस्मि।

NCERT Class 9 Chapter 9 Siktasetu Solution

हिन्दी अनुवाद – ( इसके बाद तपस्या करता हुआ तपोदत्त प्रवेश करता है )

तपोदत्त – मैं तपोदत्त हूँ। बचपन में पूज्य पिताजी के द्वारा क्लेश किए जाने पर भी मैने विद्या नहीं प्राप्त की। इसीलिए परिवार के सब सदस्यों, मित्रों और सम्बन्धियों के द्वारा मेरा अपमान किया गया।

( ऊपर की ओर साँस छोड़कर )

हे प्रभु! मैंने यह क्या किया ? उस समय मेरी कैसी दुष्ट बुद्धि हो गई थी! मैने यह भी नहीं सोचा कि

वस्त्रों तथा आभूषणों से सुशोभित किन्तु विद्याहीन मनुष्य घर पर या सभा में उसी प्रकार सुशोभित नहीं होता है जिस प्रकार मणि से रहित साँप।

( कुछ सोचकर )

अच्छा, इससे क्या ? दिन में रास्ता भूला हुआ मनुष्य यदि शाम तक घर आ जाए तो भी ठीक है। तब वह भूला हुआ नहीं माना जाता। अब मैं तपस्या के द्वारा विद्या प्राप्ति में लग जाता हूँ।

Chapter 9 Sanskrit Class 9

2. ( जलोच्छलनध्वनिः श्रूयते )

अये कुतोऽयं कल्लोलोच्छलनध्वनिः? महामत्स्यो मकरो वा भवेत्। पश्यामि तावत्।

( पुरुषमेकं सिकताभिः सेतुनिर्माण-प्रयासं कुर्वाणं दृष्ट्वा सहासम् )

हन्त! नास्त्यभावो जगति मूर्खाणाम! तीव्रप्रवाहायां नद्यां मूढोऽयं सिकताभिः

सेतुं निर्मातुं प्रयतते!

( साट्टहासं पार्श्वमुपेत्य )

भो महाशय! किमिदं विधीयते!

अलमलं तव श्रमेण। पश्य,

रामो बबन्ध यं सेतुं शिलाभिर्मकरालये।

विदधद् बालुकाभिस्तं यासि त्वमतिरामताम्।।2।।

चिन्तय तावत्। सिकताभिः क्वचित्सेतुः कर्तुं युज्यते ?

Class 9 Sanskrit Chapter 9 Question Answer

हिन्दी अनुवाद – ( पानी के उछलने की आवाज़ सुनाई देती है )

तपोदत्त – अरे! यह लहरों के उछलने की आवाज़ कहाँ से आ रही है ? शायद बड़ी मछली या मगरमच्छ हो। चलो मैं देखता हूँ।

( एक पुरुष को रेत से पुल बनाने का प्रयास करते हुए देखकर हँसते हुए )

हाय! इस संसार मूर्खो की कमी नहीं है। तेज़ प्रवाह ( बहाव ) वाली नदी में यह मूर्ख रेत से पुल बनाने का प्रयत्न कर रहा है।

( जोर-जोर से हँसकर पास जाकर )

हे महाशय! यह क्या कर रहे हो आप ? बस-बस मेहनत मत करो। देखो –

श्रीराम ने समुद्र पर जिस पुल को शिलाओं से बनाया था,

उस पुल को ( इस प्रकार ) रेत से बनाते हुए,

तुम उनके पुरुषार्थ का अतिक्रमण कर रहे हो।

जरा सोचो! कहीं रेत से पुल बनाया जा सकता है ?

Sanskrit Chapter 9 Class 9

3. पुरुषः – भोस्तपस्विन्! कथं माम् अवरोधं करोषि। प्रयत्नेन किं न सिद्धं भवति ? कावश्यकता शिलानाम् ? सिकताभिरेव सेतुं करिष्यामि स्वसंकल्पदृढतया।

तपोदत्तः – आश्चर्यम् किम् सिकताभिरेव सेतुं करिष्यसि ? सिकता जलप्रवाहे स्थास्यन्ति किम् ? भवता चिन्तितं न वा ?

पुरुषः – ( सोत्प्रासम् ) चिन्तितं चिन्ततम्। सम्यक् चिन्तितम्। नाहं सोपानसहायतया अधिरोढुं विश्वसिमि समुत्प्लुत्यैव गन्तुं क्षमोऽस्मि।

तपोदत्तः – ( सव्यङ्ग्यम् ) साधु साधु! आञ्जनेयमप्यतिक्रामसि!

पुरुषः  ( सविमर्शम् )

कोऽत्र सन्देहः? किञ्च,

विना लिप्यक्षरज्ञानं तपोभिरेव केवलम्।

यदि विद्या वशे स्युस्ते, सेतुरेष तथा मम।।3।।

Class 9 Sanskrit Chapter 9 Solution

हिन्दी अनुवाद – पुरुष – हे तपस्वी! तुम मुझे क्यों रोकते हो ? प्रयत्न करने से क्या सिद्ध नहीं होता ? शिलाओं की क्या आवश्यकता ? मैं रेत से ही पुल बनाने के लिए  दृढ संकल्पी हूँ।

तपोदत्त – आश्चर्य है! रेत से ही पुल बनाओगे ? क्या तुमने यह सोचा है कि रेत पानी के बहाव पर कैसे ठहर पाएगी ?

पुरुष – ( उसकी बात का खण्डन करते हुए ) सोचा है, सोचा है, अच्छी प्रकार सोचा है। मैं सीढ़ियों के मार्ग से ( परम्परागत तरीके से ) अटारी पर चढ़ने में विश्वास नहीं करता। मुझमें छलाँग मारकर जाने की क्षमता है।

तपोदत्त – ( व्यंग्यपूर्वक ) अच्छा हैं , अच्छा है! तुम तो अञ्जनिपुत्र हनुमान का भी अतिक्रमण कर रहे हो।

पुरुष – ( सोच-विचार कर ) और क्या ? इसमें क्या सन्देह है।

लिपि तथा अक्षर-ज्ञान के बिना जिस प्रकार केवल तपस्या से विद्या तुम्हारे वश में हो जाएगी, उसी प्रकार मेरा यह पुल भी। ( केवल रेत से बन जाएगा )

NCERT Class 9 Sanskrit Chapter 9

4. तपोदत्तः – ( सवैलक्ष्यम् आत्मगतम् )

अये! मामेवोद्दिश्य भद्रपुरुषोऽयम् अधिक्षिपति! नूनं सत्यमत्र पश्यामि। अक्षरज्ञानं विनैव वैदुष्यमवाप्तुम् अभिलषामि! तदियं भगवत्याः शारदाया अवमानना। गुरुगृहं गत्वैव विद्याभ्यासो मया करणीयः। पुरुषाथैरेव लक्ष्यं प्राप्यते।

( प्रकाशम् )

भो नरोत्तम! नाऽहं जाने यत् कोऽस्ति भवान्। परन्तु भवद्भिः उन्मीलितं मे नयनयुगलम्। तपोमात्रेण विद्यामवाप्तुं प्रयतमानः अहमपि सिकताभिरेव सेतुनिर्माणप्रयासं करोमि। तदिदानी विद्याध्ययनाय गुरुकुलमेव गच्छामि।

( सप्रणामं गच्छति )

Class 9th Sanskrit Chapter 9

हिन्दी अनुवाद – तपोदत्त – ( लज्जापूर्वक अपने मन में )

अरे! यह सज्जन मुझे ही लक्ष्य करके आक्षेप लगा रहा है। निश्चय ही यहाँ मैं सच्चाई देख रहा हूँ। मैं बिना अक्षर ज्ञान के ही विद्वता प्राप्त करना चाहता हूँ। यह तो देवी सरस्वती का अपमान है। मुझे गुरुकुल जाकर ही विद्या का अध्ययन करना चाहिए। पुरुषार्थ ( मेहनत ) से ही लक्ष्य की प्राप्ति सम्भव है। ( प्रकट रूप से ) हे श्रेष्ठ पुरुष! मैं नहीं जानता कि आप कौन हैं ? किन्तु आपने मेरी दोनो आंखे खोल दी। तपस्या मात्र से ही विद्या को प्राप्त करने का प्रयत्न करता हुआ मैं भी रेत से ही पुल बनाने का प्रयास कर रहा था, तो अब मैं विद्या प्राप्त करने के लिए गुरुकुल ही जाता हूँ।

( प्रणाम करता हुआ चला जाता है )

NCERT Solutions For Class 9 Sanskrit Chapter 9

शब्दार्था:

सिकता – रेत

सेतुः – पुल

तपस्यारतः – तपस्या में लीन

पितृचरणैः – पिताजी के द्वारा

क्लेश्यमानः – व्याकुल किया जाता हुआ

अधीतवान् –  पढ़ा

कुटुम्बिभिः – कुटुम्बियों द्वारा

ज्ञातिजनैः – बंधु बांधवो द्वारा

गर्हितः – अपमानित

निःश्वस्य – लम्बी साँस छोड़कर

Class 9 Chapter 9 Sanskrit

दुर्बुद्धिः – दुष्ट बुद्धिवाला

परिधानैः – कपड़ो से, पहनावों से

मार्गभ्रान्तः – राह से भटक हुआ

उपैति – जाता है, समीप जाता है

तपश्चर्यया – तपस्या जे द्वारा

जलोच्छलनध्वनिः – पानी के उछलने की आवाज

कल्लोलोच्छलनः ध्वनि: – तरंगों के उछलने की ध्वनि

कुर्वाणम् – करते हुए

सहासम् – हँसते हुए

सोत्प्रासम् – खिल्ली उड़ाते हुए, चुटकी लेते हुए

Sanskrit Class 9 Chapter 9 Solution

साट्टहासम् – जोर से हँसकर

अट्टम् – अटारी को

अधिरोढुम् – चढ़ने के लिए

आञ्जनेयम् – अञ्जनिपुत्र हनुमान को

सविमर्शम् – सोच विचार कर

सवैलक्ष्यम् – लज्जा पूर्वक

वैदुष्यम् – विद्वत्ता

उन्मीलितम् – खोल दी

अभ्यास:

1. एकपदेन उत्तरं लिखत

Class 9 Sanskrit Ch 9

(क) कः बाल्ये विद्यां न अधीतवान् ?

उत्तर. तपोदत्तः।

(ख) तपोदत्तः कया विद्याम् अवाप्तुं प्रवृत्तः अस्ति ?

उत्तर. तपस्यया।

(ग) मकरालये कः शिलाभिः सेतुं बबन्धः ?

उत्तर. रामः।

(घ) मार्गभ्रान्तः सन्ध्यां कुत्र उपैति ?

उत्तर. गृहम्।

(ङ) पुरुषः सिकताभिः किं करोति ?

उत्तर. सेतुनिर्माणं।

2. अधोलिखिताना प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

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(क) अनधीतः तपोदत्तः कै: गर्हितोऽभवत् ?

उत्तर. अनधीत: तपोदत्तः कुटुम्बिभिः मित्रैश्च गर्हितोऽभवत्।

(ख) तपोदत्तः केन प्रकारेण विद्यामवाप्तुं प्रवृत्तोऽभवत् ?

उत्तर. तपोदत्तः तपोभिरेव विद्यामवाप्तुं प्रवृत्तोऽभवत्।

(ग) तपोदत्तः पुरुषस्य कां चेष्टां दृष्ट्वा अहसत् ?

उत्तर. तपोदत्तः पुरुषस्य सिकताभिः सेतुनिर्माण- प्रयासं कुर्वाणं दृष्ट्वा अहसत्।

(घ) तपोमात्रेण विद्यां प्राप्तुं तस्य प्रयासः कीदृशः कथितः ?

उत्तर. तपोमात्रेण विद्यां प्राप्तुं तस्य प्रयासः सिकताभिरेव सेतुनिर्माणप्रयासः कथितः।

(ङ) अन्ते तपोदत्तः विद्याग्रहणाय कुत्र गतः ?

उत्तर. अन्ते तपोदत्तः विद्याग्रहणाय गुरुकुले गतः।

3. भिन्नवर्गीयं पदं चिनुत

NCERT Class 9 Sanskrit Chapter 9 Solution

यथा – अधिरोढुम्, गन्तुम्, सेतुम्, निर्मातुम्।

उत्तर. सेतुम्।

(क) निः श्वस्य, चिन्तय, विमृश्य, उपेत्य।

उत्तर. चिन्तय।

(ख) विश्वसिमि, पश्यामि, करिष्यामि, अभिलषामि।

उत्तर. करिष्यामि।

(ग) तपोभिः दुर्बुद्धिः, सिकताभिः, कुटुम्बिभिः।

उत्तर. दुर्बुद्धिः ।

4. (क) रेखाङ्कितानि सर्वनामपदानि कस्मैं प्रयुक्तानि ?

Class 9 Sanskrit Chapter 9 Question Answer

(i) अलमलं तव श्रमेण।

उत्तर. पुरुषाय।

(ii) न अहं सोपानमार्गैरट्टमधिरोढुं विश्वसिमि।

उत्तर. पुरुषाय।

(iii) चिन्तितं भवता न वा ?

उत्तर. पुरुषाय।

(iv) गुरुगृहं गत्वैव विद्याभ्यासो मया करणीयः।

उत्तर. तपोदत्ताय।

(v) भवद्भिः उन्मीलितं मे नयनयुगलम्।

उत्तर. तपोदत्ताय।

4. (ख) अधोलिखितानि कथनानि कः कं प्रति कथयति ?

NCERT Sanskrit Class 9 Chapter 9

कथनानिकःकम्
(1) हा विधे! किमिदं मया कृतम् ?तपोदत्तःआत्मानम्
(2) भो महाशय! किमिदं विधीयते।तपोदत्तःपुरुषम्
(3) भोस्तपस्वन्! कथं माम् उपरुणत्सि।पुरुषःतपोदत्तम्
(4) सिकताः जलप्रवाहे स्थास्यन्ति किम् ?तपोदत्तःपुरुषम्
(5) नाहं जाने कोऽस्ति भवान् ?तपोदत्तःपुरुषम्
Sanskrit 9th Class Chapter 9

5. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

Class 9 Ka Sanskrit Chapter 9

(क) तपादत्तः तपश्चर्यया विद्यामवाप्तुं प्रवृत्तोऽसि।

उत्तर. तपोदत्तः कया विद्यामवाप्तुं पृवृत्तोऽस्ति ?

(ख) तपोदत्तः कुटुम्बिभिः मित्रैः गर्हितः अभवत्।

उत्तर. क: कुटुम्बिभिः मित्रैः गर्हितः अभवत् ?

(ग) पुरुषः नद्यां सिकताभिः सेतुं निर्मातुं प्रयतते।

उत्तर. पुरुषः कुत्र/कस्यां सिकताभिः सेतुं निर्मातुं प्रयतते ?

(घ) तपोदत्तः अक्षरज्ञानं विनैव वैदुष्यमवाप्तुम् अभिलषति।

उत्तर. तपोदत्तः कम् विनैव वैदुष्यमवाप्तुं अभिलषति ?

(ङ) तपोदत्तः विद्याध्ययनाय गुरुकुलम् अगच्छत्।

उत्तर. तपोदत्तः किमर्थं गुरुकुलम् अगच्छत् ?

(च) गुरुगृहं गत्वैव विद्याभ्यास: करणीयः।

उत्तर. कुत्र गत्वैव विद्याभ्यास: करणीयः ?

6. उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितविग्रहपदानां समस्तपदानि लिखत

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विग्रहपदानिसमस्तपदानि
यथा – संकल्पस्य सातत्येनसंकल्पसातत्येन
(क) अक्षराणां ज्ञानम्अक्षरज्ञानम्।
(ख) सिकतायाः सेतुःसिकतासेतुः।
(ग) पितुः चरणैःपितृचरणैः
(घ) गुरोः गृहम्गुरुगृहम्।
(ङ) विद्यायाः अभ्यासःविद्याभ्यास:

(आ) उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितानां समस्तपदानां विग्रहं कुरुत

Class 9 Sanskrit Chapter 9 Exercise

समस्तपदानिविग्रहः
यथा – नयनयुगलम्नयनयोः युगलम्
(क) जलप्रवाहेजलस्य प्रवाहे
(ख) तपश्चर्ययातपसः चर्यया
(ग) जलोच्छलनध्वनिःजलस्य उच्छलनध्वनिः
(घ) सेतुनिर्माणप्रयासःसेतुनिर्माणस्य प्रयासः।

7. उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकात् पदम् आदाय नूतनं वाक्यद्वयं रचयत

Class 9 Sanskrit Chapter 9 Solutions

(क) यथा – अलं चिन्तया। (‘अलम्’ योगे तृतीया )

1. अलं भयेन।

2. अलं कोलाहलेन।

(ख) यथा – माम् अनु स गच्छति (‘अनु’ योगे द्वितीया )

1. गृहम् अनु उद्यानम् अस्ति। (गृह)

2. पर्वतम् अनु वनानि सन्ति। (पर्वत)

(ग) यथा – अक्षरज्ञानं विनैव वैदुष्यं प्राप्तुमभिलषसि। ( ‘विना’ योगे द्वितीया )

1. परिश्रमं विनैव लक्ष्यं प्राप्तुमभिलषसि। (परिश्रम)

2. अभ्यासं विना  सफलतां न लभ्यते। (अभ्यास)

(घ) यथा – संध्यां यावत् गृहमुपैति ( ‘यावत्’ योग द्वितीया )

1. मासं यावत् ग्रामम् उपैति। (मास)

2. वर्षं यावत् विद्याध्ययनं कुरु। (वर्ष)

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