Class – 9 Chapter – 3 Godohanam

CLASS – 9 SANSKRIT SHEMUSHI PART – 1 CHAPTER – 3 GODOHANAM | HINDI TRANSLATION | QUESTION ANSWER | कक्षा – 9 संस्कृत शेमूषी भाग – 1 तृतीय: पाठ: गोदोहनम् | हिन्दी अनुवाद | अभ्यास:

Class – 9 Chapter – 3 GODOHANAM

तृतीय: पाठ:

गोदोहनम्

NCERT BOOK SOLUTIONS | SOLUTIONS FOR NCERT SANSKRIT CLASS 9 CHAPTER 3 IN HINDI

( हिन्दी अनुवाद )

एतत्  नाट्यांशं कृष्णचन्द्रत्रिपाठिमहोदयै: रचितात् ‘ चतुर्व्यूहम् ‘ इति पुस्तकात् संक्षिप्य संपाद्य च उद्घृतम्। अस्मिन् नाटके एतादृशस्य जनस्य कथानकम् अस्ति यः धनवान् सुखाकाखी च भवितुम् इच्छुक: मासपर्यन्तं दुग्धदोहनादेव विरमति , येन मासान्ते धेनो: शरीरे सञ्चितं पर्याप्तं दुग्धम् एकवारमेव विक्रिय संपत्तिमर्जयितुं समर्थ: भवेत्। परम् मासान्ते यदा सः दुग्धदोहनाय प्रयतते तदा सः दुग्धबिन्दुम् अपि न प्राप्नोति।

दुग्धप्राप्तिस्थाने सः धेनो: प्रहरै: रक्तरञ्जित: भवति , अवगच्छति च यत् दैनन्दिनं कार्यं यदि मासपर्यन्तं संगृह्य क्रियते तदा लाभस्य स्थाने हानिरेव भवति।

हिन्दी अनुवाद – यह नाटक ‘ चतुर्व्यूहम् ‘ पुस्तक से संक्षिप्त और संपादित करके लिया गया है। इस नाटक मे ऐसे आदमी की लघु कथा है जो धनवान और सुखी होने का इच्छुक है। ( जो ) महीने भर तक  गाय का दूध दोहन करना ही रोक देता है, जिससे महीने के अन्त मे गाय के शरीर मे जमा हुआ ( इकट्ठा हुआ ) पर्याप्त दूध को एक बार मे ही बेचकर संपत्ति अर्जित करने के लिये समर्थ हो जाये। लेकिन महीने के अन्त मे जब वह दूध दोहन का प्रयास करता है तब वह दूध की बून्द भी प्राप्त नही करता ।

दूध प्राप्ति के स्थान पर वह गाय के प्रहार के द्वारा खून से सना हुआ हो जाता है, तब समझता है कि दिन प्रतिदिन के कार्य को यदि महीने भर तक संग्रहित किया जाये तब लाभ के स्थान पर हानि ही होती है।

( प्रथम दृश्य )

( मल्लिका मोदकानि रचयन्ती मन्दस्वरेण शिवस्तुतिं करोति )

( तत: प्रविशति मोदकगन्धम् अनुभवन् प्रसन्नमना चन्दन:। )

चन्दन: – अहा! सुगन्धस्तु मनोहर: ( विलोक्य ) अये मोदकानि रच्यन्ते ? ( प्रसन्न: भूत्वा ) आस्वादयामि तावत्। (मोदकं गृहीतुमिच्छति)

मल्लिका – ( सक्रोधम् ) विरम। विरम। मा स्पृश! एतानि मोदकानि।

चन्दन: – किमर्थं क्रुध्यसि! तव हस्तनिर्मितानि मोदकानि दृष्ट्वा अहं जिह्वालोलुपतां नियन्त्रयितुम् अक्षम: अस्मि, किं न जानासि त्वमिदम् ?

मल्लिका – सम्यग् जानामि नाथ! परम् एतानि मोदकानि पूजानिमित्तानि सन्ति।

चन्दन: – तर्हि, शीघ्रमेव पूजनं सम्पादय। प्रसादं च देहि।

हिन्दी अनुवाद

( प्रथम दृश्य )

( मल्लिका मोदक बनाते हुए शिव की स्तुति करती है। तब प्रवेश करता है मोदक की सुगंध को महसूस करता हुआ खुश मन से चन्दन। )

चन्दन –  वाह! सुगंध तो मनोहर है ( देखकर ) अरे मोदक बना रही हो। ( प्रसन्न होकर ) चखता हुं तब तो। ( मोदक को लेने की इच्छा करता है। )

मल्लिका – ( क्रोध सहित ) रुको। रुको । मत स्पर्श करो इन मोदकों को।

चन्दन – क्रोध किसलिये! तुम्हारे हाथ से बने मोदको को देखकर मै जीभ के लालच को नियंत्रित करने मे असमर्थ हुं, क्या तुम यह नही जानती हों ?

मल्लिका –  ठीक से जानती हुं नाथ! परन्तु यह मोदक पूजा के लिये है।

चन्दन – तो शीघ्र ही पूजा समाप्त करो। और प्रसाद दो।

हिन्दी अनुवाद

मल्लिका – अरे! यहां पूजन नही होगा। मैं अपनी सखियों के साथ कल( आने वाला ) सुबह काशी विश्व नाथ मंदिर जाऊंगी।, वहां हम सब  गङ्गास्नान और धर्मयात्रा करेंगे।

चन्दन – सखियो के साथ! मेरे साथ नही! ( दुःखी स्वभाव मे नाटक करते हुए )

मल्लिका – हां। चम्पा, गौरी, माया , मोहिनी, कपिला आदि सभी जाती है इसीलिये मेरे साथ तुम्हारा जाना उचित नही है। हम सब सप्ताह के अन्त मे वापस आ जायेंगें तब तक घर की व्यवस्था , गाय का दूध दोहन और  व्यवस्था का पालन करना।

( द्वितीयम् दृश्यम् )

चन्दनः – अस्तु। गच्छ। सखिभिः सह धर्मयात्रया आनन्दिता च भव। अहं सर्वमपि परिपालयिष्यामि। शिवास्ते सन्तु पन्थानः।

चन्दनः – मल्लिका तु धर्मयात्रायै गता। अस्तु। दुग्धदोहनं कृत्वा ततः स्वप्रातराशस्य प्रबन्धं करिष्यामि। (स्त्रीवेषं धृत्वा, दुग्धपात्रहस्तः नन्दिन्याः समीपं गच्छति)

उमा – मातुलानि! मातुलानि!

चन्दनः – उमे! अहं तु मातुलः। तव मातुलानी तु गङ्गास्नानार्थं काशीं गता अस्ति। कथय! किं ते प्रियं करवाणि ?

उमा – मातुल! पितामहः कथयति, मासानन्तरम् अस्मत् गृहे महोत्सवः भविष्यति। तत्र त्रिशत-सेटक्रमितं दुग्धम्

अपेक्षते। एषा व्यवस्था भवद्भिः करणीया।

NCERT SOLUTION FOR CLASS 9 CHAPTER 3

( दूसरा दृश्य )

हिन्दी अनुवाद

चन्दन – ठीक है। जाओ। सखियो के साथ और धर्मयात्रा के द्वारा आनन्दित हो। मैं भी सब देख लूंगा। तुम्हारी यात्रा मंगलमय हो।

चन्दन – मल्लिका तो धर्मयात्रा के लिये गयी है। ठीक है। दूध दोहन करके फिर अपने सुबह के भोजन का प्रबन्ध करूंगा। ( स्त्री का वेष धारण करके, दूध का बर्तन हाथ मे लेकर नन्दिनी ( गाय ) के समीप जाता है। )

उमा – मामी! मामी!

चन्दन – उमा! मैं तो मामा हुं। तुम्हारी मामी तो गङ्गा स्नान के लिये काशी गयी है। कहो! तुम्हारे लिये क्या अच्छा करूं।

उमा – मामा! दादाजी कहते है महीने के बाद हमारे घर मे महोत्सव होगा। वहां तीन सौ लीटर दूध चाहिए। इसकी व्यवस्था आपको करनी है।

हिन्दी अनुवाद

चन्दन – ( प्रसन्न मन से ) तीन सौ लीटर दूध! अच्छा है। दूध की व्यवस्था हो जायेगी इस प्रकार दादा जी को तुम बोंल देना।

उमा – धन्यवाद मामा! अब मैं चलती हूँ। ( वह चली जाती है )

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( तीसरा दृश्य )

चन्दन – ( प्रसन्न होकर, ऊंगलियो पर गिनते हुए ) अरे! तीन सौ लीटर दूध! इससे तो बहुत धन प्राप्त होगा। ( नन्दिनी को देखकर ) अरे! नन्दिनी! तुम्हारी कृपा से तो मैं बहुत अमीर हो जाऊंगा। ( प्रसन्न होकर वह गाय की बहुत सेवा करता है)

चन्दन – ( सोचता है ) महीने के अन्त मे ही दूध की आवश्यकता है यदि प्रतिदिन दोहन करता हूँ। तब दूध सुरक्षित नही रहेगा। अब क्या करना चाहिये। आपके लिये महीने के अन्त मे ही पूरी तरह से दूध दोहता हूँ।

( इस प्रकार क्रम से सात दिन बीत जाते है। सप्ताह के अन्त मे मल्लिका लौटती है। )

हिन्दी अनुवाद

मल्लिका – ( प्रवेश करके ) स्वामी ! मैं आ गई। प्रसाद को चखिये।

( चन्दन मोदको को खाता है और बोलता है। )

चन्दन – तुम्हारी यात्रा तो ठीक से सफल हो गयी ? काशी विश्वनाथ की कृपा से अच्छा बोलता हूँ।

मल्लिका – ( आश्चर्य के साथ ) ऐसा। धर्मयात्रा के अतिरिक्त और क्या अच्छा है।

हिन्दी अनुवाद

चन्दन – गांव के प्रमुख के घर मे महोत्सव महीने के अन्त मे होगा। वहां तीन सौ लीटर दूध हमारे द्वारा देना है।

मल्लिका – किन्तु इतनी मात्रा मे दूध कहां से लायेंगें।

चन्दन – मल्लिका सोचो! प्रतिदिन दोहन करके दूध रखेंगे तो वह सुरक्षित नही रहेगा। इसलिये दूध दोहन नही करते है। उत्सव के दिन ही सारा दूध दूह लेंगे।

हिन्दी अनुवाद

मल्लिका – स्वामी ! तुम तो बहुत चतुर हो। बहुत अच्छा विचार है। अब दूध दोहना छोड़कर केवल नन्दिनी की सेवा ही करेंगे। इस प्रकार अधिक से अधिक दूध हम महीने के अन्त मे प्राप्त करेंगे।

( दोनो ही गाय की सेवा मे लग जाते है। इसी क्रम मे घास आदि और गुड आदि खिलाते है। कभी सींगो पर तेल लगाते है, तिलक लगाते है, रात को आरती से भी सन्तुष्ट करते है। )

चन्दन – मल्लिका! आओ। कुम्हार के पास चलते है। दूध के लिये पात्र का प्रबन्ध भी करना है। ( दोनो ही निकल जाते है। )

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( चौथा दृश्य )

Class – 9 Chapter – 3 GODOHANAM

हिन्दी अनुवाद

कुम्हार – ( घङा बनाने मे मग्न होकर गाना गाता है। )

जैसे यह मिट्टी का घडा ( टूट जाता है/क्षणिक है /भंगुर है ) वैसे ही जीवन मे भी सब कुछ क्षणिक है। यह जानकर भी घङो को बनाता हूँ।

चन्दन –  नमस्कार करता हूँ चाचा! पन्द्रह (15) घङो को चाहता हूँ। क्या दोंगे।

देवेश – क्यों नही ? ये सभी बेचने के लिये ही है। घङो को ले लो। और पांच सौ रूपये दे दो।

चन्दन – ठीक है। परन्तु पैसे तो दूध बेचकर ही दे सकता हूँ।

देवेश – क्षमा करना पुत्र! पैसे के बिना तो एक भी घडा नही दूंगा।

हिन्दी अनुवाद

मल्लिका – ( अपने गहने देने की इच्छा करती है ) चाचा! यदि अभी मूल्य आवश्यक है, तो ये आभूषण ले लो।

देवेश – पुत्री! मैं ये पाप कर्म नही करता हूँ। किसी भी तरह तुम्हे आभूषण विहीन नही करना चाहता। ले जाओ जितने भी घङे चाहिये। दूध बेचकर ही घङो का मूल्य दे देना।

दोनों – चाचा तुम धन्य हो। धन्य हो।

(पांचवा दृश्य )

हिन्दी अनुवाद

( महीने के अन्त मे शाम को- नये घङे खाली करके रखे है। दूध खरीदने वाले और अन्य ग्रामवासी आस पास बैठे है। )

चन्दन – गाय को प्रणाम करके, मङ्गलाचरण पढकर मल्लिका को बुलाता है। मल्लिका !  शीघ्र आओ।

मल्लिका – आ रही हूं नाथ! तब तक दोहना आरम्भ तो करो।

चन्दन – ( जब गाय के पास जाकर दोहना चाहता है, तब गाय अपने पीछे वाले पैर से मारती है। और चन्दन बर्तन के साथ गिरता है ) नन्दिनी! दूध दो। क्या हुआ तुम्हे ? ( फिर प्रयास करता है ) (और नन्दिनी बार बार पैर से प्रहार करके चन्दन को मारकर खून से सना हुआ कर देती है ) हाय! मुझे मार दिया।( चिल्लाते हुए गिरता है ) ( सभी आश्चर्य से चन्दन और एक दूसरे को देखते है। )

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हिन्दी अनुवाद

मल्लिका – ( चिल्लाना सुनकर, शीघ्र प्रवेश करके ) नाथ! क्या हुआ? आप खून से कैसे लथपथ हो गये ?

चन्दन – गाय दूध दोहने की अनुमति ही नही देती है। दोहन प्रक्रिया को शुरू करते ही मुझे मारती है।

( मल्लिका गाय को स्नेह से और दुलार से दुहने का प्रयास करती है। किन्तु गाय दूधहीन है ऐेसा वह अन्त मे समझ जाती है। )

मल्लिका – ( चन्दन के प्रति ) नाथ! बहुत अनुचित कार्य हम दोनो ने किया, कि महीने भर गाय को नही दुहा। वह कष्ट महसूस कर रही है , इसीलिये मार रही है।

चन्दन – देवी! मेरे द्वारा भी जान लिया गया कि हम दोनो के द्वारा सभी प्रकार से अनुचित ही किया गया कि पूरे महीने भर दोहन नही किया गया। इसलिये दूध सूख गया है। सत्य ही कहा गया है –

जो काम आज करना है उसे आज ही करना चाहिए। जो इसके विपरीत जाता है वह निश्चय ही दुःख को प्राप्त करता है।

हिन्दी अनुवाद

मल्लिका –  हाँ पति देव! सत्य ही है, मेरे द्वारा भी पढ़ा गया है कि –

कल्याण चाहने वाले के द्वारा ( कोई ) काम अच्छे से विचार करके ही करना चाहिए। जो मानव यह ( काम ) बिना विचार किये करता है वो दुःखी होता है।

परन्तु प्रत्यक्ष रूप में यह आज ही अनुभव हुआ।

सभी – दिन का काम उसी दिन में ही करना चाहिए। जो ऐसा नहीं करता है वह निश्चय ही कष्ट पाता है।

( पर्दा गिरता है )

( सभी मिलकर गाते हैं )

अर्थात् किसी भी कार्य को अगर समय पर न किया जाये तो उस काम का मज़ा ( रस ) हमें प्राप्त नहीं होता, काल (समय) उसका रस पी जाता है।

अभ्यास:

Class – 9 Chapter – 3 GODOHANAM

1. एकपदेन  उत्तरं लिखत

(क) मल्लिका पूजार्थं सखीभि: सह कुत्र गच्छति स्म ?

उत्तरं. काशीविश्वनाथमन्दिरं ।

(ख) उमाया: पितामहेन  कति  सटेकमितं दुग्धम् अपेक्ष्यते स्म ?

उत्तर. त्रिशत्।

(ग) कुम्भकार: घटान् किमर्थं  रचयति ?

उत्तर. जीविकाहेतु: ।

(घ) कानि चन्दनस्य जिह्वालोलुपतां वर्धन्ते स्म ?

उत्तर. मोदकानि ।

(ङ) नन्दिन्या: पादप्रहारै: कः रक्तरञ्जित: अभवत् ?

उत्तर. चन्दन: ।

2. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत

(क) मल्लिका चन्दनश्च मासपर्यन्तं धेनो: कथम्  अकुरुताम् ?

उत्तर. मल्लिका चन्दनश्च मासपर्यन्तं दुग्धदोहनं विहाय केवलं नन्दिन्या: सेवाम् एव अकुरुताम्।

(ख) काल: कस्य रसं पिबति ?

उत्तर. क्षिप्रम् अक्रियमाणस्य आदानस्य प्रदानस्य कर्तव्यस्य च कर्मणः तद्रसं कालः पिबति।

(ग) घटमूल्यार्थं यदा मल्लिका स्वाभूषणं दातुं प्रयतते तदा कुम्भकार: किं वदति ?

उत्तर. घटमूल्यार्थं यदा मल्लिका स्वाभूषणं दातुं प्रयतते तदा कुम्भकार:  वदति- पुत्रिके! नाहं पापकर्म करोमि। कथमपि नेच्छामि त्वाम् आभूषणविहीनां कर्तुम्। नयतु यथाभिलषितान् घटान्। दुग्धं विक्रीय एव घटमूल्यम् ददातु।

(घ) मल्लिकया किं दृष्ट्वा धेनो: ताडनस्य वास्तविकं कारणं ज्ञातम् ?

उत्तर. मल्लिकया  दृष्टा  यत् मासपर्यन्तम्  धेनो: दोहनं न कृतम् अत सा पीडां अनुभवति इति धेनोः ताडनस्य वास्तविकं कारणं अस्ति।

(च) मासपर्यन्तं धेनो: अदोहनस्य किं कारणमासीत् ?

उत्तर. मासपर्यन्तं धेनो: अदोहनस्य  कारणमासीत् यत् मासान्ते एकः महोत्सवाय त्रिशत-सेटकपरिमितं दुग्धं विक्रय चंदनेन धनिकः भवितुं इति चिन्तयित्वा सः मासपर्यन्तं दुग्धदोहनं न करोति।

3. रेखान्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) मल्लिका सखीभि: सह धर्मयात्रायै गच्छति स्म ।

प्रश्न. मल्लिका कै: सह धर्मयात्रायै गच्छति स्म ?

(ख) चन्दन: दुग्धदोहनं कृत्वा एव स्वप्रातराशस्य प्रबन्धस्य अकरोत् ।

प्रश्न. चन्दन: दुग्धदोहनं कृत्वा एव कस्य प्रबन्धस्य अकरोत् ?

(ग) मोदकानि  पूजानिमित्तानि रचितानि आसन्।

प्रश्न. कानि पूजानिमित्तानि रचितानि आसन् ?

(घ) मल्लिका स्वपतिं चतुरतमं मन्यते।

प्रश्न. मल्लिका स्वपतिं कीदृशं मन्यते।

(ङ) नन्दिनी पादाभ्यां ताडयित्वा चन्दनं रक्तरञ्जितं करोति ?

प्रश्न. का पादाभ्यां ताडयित्वा चन्दनं रक्तरञ्जितं करोति।

4. मन्जुषाया: सहायतया भावार्थे रिक्तस्थानानि पूरयत

( गृहव्यवस्थायै, उत्पादयेत्, समर्थक:, धर्मयात्राया:, मङ्गलकामनाम्, कल्याणकारिण: )

यदा चन्दन: स्वपत्न्या काशीविश्वनाथं प्रति धर्मयात्रायाः विषये जानाति तदा सः क्रोधित: न भवति यत् तस्याः पत्नी तं गृहव्यवस्थायै  कथयित्वा सखीभि:   सह भ्रमणाय  गच्छति अपि तु तस्या: यात्राया: कृते मङ्गलकामनाम् कुर्वन् कथयति  यत् तव मार्गा: शिवा: अर्थात् कल्याणकारिणः भवन्तु । मार्गे काचिदपि बाधा: तव कृते समस्यां न उत्पादयेत् । एतेन सिध्यति यत् चन्दन: नारीस्वतन्त्रताया: समर्थकः आसीत् ।

5. घटनाक्रमानुसारम् लिखत

(क) सा सखीभि: सह तीर्थयात्रायै काशीविश्वनाथमन्दिरं प्रति गच्छति ।

(ख) उभौ नन्दिन्या: सर्वविधपरिचर्या कुरुत:।

(ग) उमा मासान्ते उत्सवार्थ दुग्धस्य आवश्यकताविषये चन्दनं सूचयति ।

(घ) मल्लिका पूजार्थं  मोदकानि  रचयति ।

(ङ) उत्सवदिने यदा  दोग्धुं प्रयत्नं करोति  तदा नन्दिनी पादेन प्रहरति ।

(च) कार्याणि समये करणीयानि इति चन्दन: नन्दिन्या: पाद प्रहारेण अवगच्छति ।

(छ्) चन्दन: उत्सवसमये अधिकं  दुग्धं प्राप्तुं मासपर्यन्तं दोहनं न करोति ।

(ज) चन्दनस्य  पत्नी तीर्थयात्रां समाप्य  गृहं प्रत्यागच्छति ।

उत्तर.

(घ) मल्लिका पूजार्थं मोदकानि रचयति ।

(क) सा सखीभि: सह तीर्थयात्रायै काशीविश्वनाथमन्दिरं प्रति गच्छति ।

(ग) उमा मासान्ते उत्सवार्थ दुग्धस्य आवश्यकताविषये चन्दनं सूचयति ।

(ज) चन्दनस्य  पत्नी तीर्थयात्रां समाप्य  गृहं प्रत्यागच्छति ।

(ख) उभौ नन्दिन्या: सर्वविधपरिचर्या कुरुत:।

(छ्) चन्दन: उत्सवसमये अधिकं  दुग्धं प्राप्तुं मासपर्यन्तं दोहनं न करोति ।

(ङ) उत्सवदिने यदा  दोग्धुं प्रयत्नं करोति  तदा नन्दिनी पादेन प्रहरति ।

(च) कार्याणि समये करणीयानि इति चन्दन: नन्दिन्या: पाद प्रहारेण अवगच्छति ।

6. अधोलिखितानि वाक्यानि कः कं प्रति कथयति इति प्रदत्त स्थाने लिखत

उदाहरणम्कः/काकं/काम्
स्वामिन्! प्रत्यागता अहम् । आस्वादय प्रसादम् ।मल्लिकाचन्दनं प्रति
(क) धन्यवाद मातुल!याम्यधुना ।उमाचन्दनं प्रति
(ख) त्रिसेटकमितं दुग्धम। शोभनम् । व्यवस्था भविष्यति ।चंदनःउमां प्रति
(घ ) मूल्यं तु दुग्धं विक्रीयैव दातुं शक्यते।चन्दनःदेवेशं प्रति
(ङ ) पुत्रिके! नाहं पापकर्म करोमि।देवेशःमल्लिकां प्रति
(च ) देवि! मयापि ज्ञातं यदस्माभि: सर्वथानुचितं कृतम्।चन्दनःमल्लिकां प्रति

7. (अ) पाठस्य आधारेण प्रदत्तपदानां संधिं /सन्धिच्छेदम् वा कुरुत

(क) शिवास्ते – शिवाः + ते

(ख) मन:हर: – मनोहरः

(ग) सप्ताहान्ते – सप्ताह + अन्ते

(घ) नेच्छामि – न + इच्छामि

(ङ) अत्युत्तम: – अति + उत्तम:

(आ) पाठाधारेण अधोलिखितपदानां प्रकृति -प्रत्ययं च संयोज्य / विभज्य  वा लिखत

(क) करणीयम् – कृ + अनीयर्

(ख) वि + क्री + ल्यप् – विक्रीय

(ग) पठितम् – पठ् + क्त

(घ) ताडय + क्त्वा – ताडयित्वा

(ङ) दोग्धुम् – दुह् + तुमुन्

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