Class 7 NCERT Sanskrit Ruchira Part 2 Chapter 1 Subhashitani

CLASS – 7 SANSKRIT RUCHIRA PART – 2 CHAPTER – 1 SUBHASHITANI | HINDI TRANSLATION | QUESTION ANSWER | कक्षा – 7 संस्कृत रुचिरा भाग – 2 प्रथमः पाठः सुभाषितानि | हिन्दी अनुवाद | अभ्यास:

Class 7 NCERT Sanskrit Ruchira Part 2 Chapter 1 Subhashitani

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प्रथम: पाठः

सुभाषितानि

NCERT BOOK SOLUTIONS | SOLUTIONS FOR NCERT SANSKRIT CLASS 7 CHAPTER 1 IN HINDI

Class 7 NCERT Sanskrit Ruchira Part 2 Chapter 1 Subhashitani

( हिन्दी अनुवाद )

पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्।

मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ।।1।।

हिन्दी अनुवाद – पृथ्वी पर तीन रत्न है – जल, अन्न और अच्छे वचन। परन्तु मूर्ख लोग पत्थर के तुकङो को रत्न समझते है।

सत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः।

सत्येन वाति वायुश्च सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम्।।2।।

हिन्दी अनुवाद – सत्य के द्वारा पृथ्वी धारण की  जाती है, सत्य के द्वारा सूरज तपता है, सत्य के द्वारा हवा बहती है, सब कुछ सत्य मे ही स्थित है।

दाने तपसि शौर्ये च विज्ञाने विनये नये।

विस्मयो न हि कर्त्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा।।3।।

हिन्दी अनुवाद – दान मे, तपस्या मे, शौर्य मे, विज्ञान मे, विनम्रता मे, नीति मे आश्चर्य नही करना चाहिये क्योकि पृथ्वी अनेक रत्नो वाली है।

सद्भिरेव सहासीत सद्भि: कुर्वीत सङ्गतिम् ।

सद्भिर्विवादं मैत्रीं च नासद्भिः किञ्चिदाचरेत् ।।4।।

हिन्दी अनुवाद – सज्जनो के साथ ही रहना चाहिये, सज्जनो के साथ ही संगति करनी चाहिये, सज्जनो के साथ ही झगडा और मित्रता करनी चाहिये। ( परन्तु ) असज्जनो के साथ किसी भी प्रकार का आचरण नही करना चाहिये।

धनधान्यप्रयोगेषु विद्याया: संग्रहेषु च।

आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्।।5।।

हिन्दी अनुवाद – धन धान्य के प्रयोग मे, विद्या के संग्रह मे, आहार ग्रहण करने मे और दूसरों के साथ व्यवहार करने मे जो व्यक्ति शर्म को त्याग देता है, वह सुखी रहता है।

क्षमावशीकृतिर्लोके क्षमया किं न साध्यते।

शान्तिखड्ग: करे यस्य किं करिष्यति दुर्जन:।।6।।

हिन्दी अनुवाद – इस संसार मे क्षमा सबसे बडा वशीकरण है, क्षमा के द्वारा क्या नही सिद्ध किया जा सकता। अर्थात् क्षमा के द्वारा सब कुछ संभव है। शान्ति रूपी तलवार जिस मनुष्य के हाथ मे है, उसका दुर्जन कुछ नही बिगाड सकता।

शब्दार्था:

MEANING IN SANSKRITMEANING IN HINDIMEANING IN ENGLISH
पृथिव्यामधरती परon the earth
सुभाषितम्  सुन्दर वचनgood sayings
मूढैःमूर्खों के द्वाराby fools
पाषाणखण्डेषुपत्थर के टुकड़ों मेंin stone pieces
रत्नसंज्ञारत्न  का नामname of precious stone
विधीयतेकिया / समझा जाता हैto be done/given
धार्यतेधारण किया जाता हैbears
तपतेजलता हैburns/heats
वातिबहता है / बहती हैblows
वायुश्च ( वायु:+च )पवन भीair
प्रतिष्ठितमस्थित हैsituated
तपसितपस्या मेंin penance
शैर्येबल मेंin bravery
नये नीति मेंin policy
विस्मयः आश्चर्यwonder
बहुरत्नाअनेक रत्नों  वालीpossessing many jewells
वसुन्धरापृथवीearth
सद्भिरेवसज्जनों के साथ हीwith gentleman alone
सहासीतसाथ बैठना चाहिएshould sit together
कुर्वीतकरना चाहिएshould do
सद्भिर्विवादमसज्जनों के साथ झगड़ाquarrel with gentleman
क्षमावशीकृतिर्लोकेसंसार में
( सबसे बड़ा ) वशीकरण है
forgiveness is an
enchantment in the world
नासद्भिःअसज्जन लोगों के साथ नहींnot with ungentlemanly people
संग्रहेषुसंग्रहों में, संचय करने मेंin accumulation
धनधान्यप्रयोगेषुधनधान्य के प्रयोग मेंin the use of wealth
त्यक्तलज्जःसंकोच या भीरुता को छोड़ने वालाone who has given up shyness
शान्तिखड्गःशान्ति की तलवारsword of peace

अभ्यास:

Class 7 NCERT Sanskrit Ruchira Part 2 Chapter 1 Subhashitani

1. सर्वान् श्लोकान् सस्वरं गायत

2. यथायोग्यं श्लोकांशान् मेलयत

धनधान्यप्रयोगेषुविद्याया: सङ्ग्रहेषु च।
विस्मयो न हि कर्त्तव्य:बहुरत्ना वसुन्धरा।
सत्येन धार्यते पृथ्वीसत्येन तपते रविः।
सद्भिर्विवादं मैत्रीं चनासद्भि: किञ्चिदाचरेत् ।
आहारे व्यवहारे चत्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्।

3. एकपदेन उत्तरत

(क) पृथिव्यां कति रत्नानि ?

उत्तर. त्रीणि।

(ख) मूढैः कुत्र रत्नसंज्ञा विधीयते ?

उत्तर.पाषाणखण्डेषु।

(ग) पृथिवी केन धार्यते ?

उत्तर. सत्येन।

(घ) कै: सङ्गतिं कुर्वीत ?

उत्तर. सद्भिः।

(ङ) लोके वशीकृति: का ?

उत्तर. क्षमा।

4. रेखाक्ङितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) सत्येन वाति वायु:।

प्र. केन वाति वायु: ?

(ख) सद्भिः एव सहासीत।

प्र. काभि: एव सहासीत ?

(ग) वसुन्धरा बहुरत्ना भवति।

प्र. का बहुरत्ना भवति ?

(घ) विद्याया: सङ्ग्रहेषु त्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्।

प्र. कस्याः सङ्ग्रहेषु त्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्।

(ङ) सद्भिः मैत्रीं कुर्वीत।

प्र. सद्भिः किं कुर्वीत।

5. प्रश्नानामुत्तराणि लिखत

(क) कुत्र विस्मयः न कर्त्तव्य: ?

उत्तर.बहुरत्ना वसुन्धरा  इति विस्मयः: न कर्तव्यः।

(ख) पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि कानि ?

उत्तर. पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम् सन्ति।

(ग) त्यक्तलज्ज: कुत्र सुखी भवेत् ?

उत्तर. त्यक्तलज्ज: आहारे व्यवहारे च सुखी भवेत्‌।

6. मन्जूषात: पदानि चित्वा लिङ्गानुसारम् लिखत

( रत्नानि, वसुन्धरा, सत्येन, सुखी, अन्नं, वह्नि:, रवि:, पृथ्वी, सङ्गतिं )

पुंल्लिगंस्त्रीलिङ्गम्नपुंसकलिङ्गं
सत्येनवसुन्धरारत्नानि
रवि:पृथ्वीसुखी
अन्नम्वह्नि:सङ्गतिं

7. अधोलिखितपदेषु धातव: के  सन्ति ?

पदम्धातु
करोतिकृ
पश्यदृश्
भवेत्भू
तिष्ठति।तिष्ठ् / स्था

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