Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 8 Vichitra Sakshi कक्षा – 10 संस्कृत शेमूषी भाग – 2 अष्टम: पाठः विचित्र: साक्षी | हिन्दी अनुवाद | अभ्यास:
Class 10 Sanskrit Chapter 8 Solutions
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अष्टमः पाठः
विचित्रः साक्षी
( हिन्दी अनुवाद )
Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 8 Vichitra Sakshi
अयं पाठः ओमप्रकाशठक्कुरविरचितकथायाः सम्पादितः अंशः अस्ति। इयं कथा बङ्गसाहित्यकार बंकिमचन्द्रचटर्जीद्वारा न्यायाधीशरूपेण प्रदत्तनिर्णयोपरि आधारितः अस्ति। न्यायकर्तारः सत्यासत्यनिर्णयार्थं यदा- कदा तादृशीनां युक्तीनां प्रयोगं कुर्वन्ति याभिः प्रमाणं विनापि न्यायः स्यात्।अस्यां कथायामपि तथैव मार्गः आचरितः।
हिन्दी अनुवाद – प्रस्तुत पाठ श्री ओमप्रकाश ठाकुर द्वारा रचित कथा का सम्पादित अंश है। यह कथा बंगला के प्रसिद्ध साहित्यकार बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा न्यायाधीश-रूप में दिए गए फैसले पर आधारित है। सत्यासत्य के निर्णय हेतु न्यायाधीश कभी-कभी ऐसी युक्तियों का प्रयोग करते हैं, जिससे साक्ष्य के अभाव में भी न्याय हो सके। इस कथा में भी विद्वान् न्यायाधीश ने ऐसी ही युक्ति का प्रयोग कर न्याय करने में सफलता पाई हैं।
Class 10 Sanskrit Chapter 8
1. कश्चन निर्धनो जनः भूरि परिश्रम्य किञ्चिद् वित्तमुपार्जितवान्। तेन वित्तेन स्वपुत्रम् एकस्मिन् महाविद्यालये प्रवेशं दापयितुं सफलो जातः। तत्तनयः तत्रैव छात्रावासे निवसन् अध्ययने संलग्नः समभूत्। एकदा स पिता तनूजस्य रुग्णतामाकर्ण्य व्याकुलो जातः पुत्र द्रष्टुं च प्रस्थितः। परमर्थकर्श्येन पीडितः स बसयानं विहाय पदातिरेव प्राचलत्।
पदातिक्रमेण संचलन् सायं समयेऽप्यसौ गन्तव्याद् दूरे आसीत्। ‘निशान्धकारे प्रसृते विजने प्रदेशे पदयात्रा न शुभावहा’, एवं विचार्य स पार्श्वस्थिते ग्रामे रात्रिनिवासं कर्त्तुं कञ्चिद् गृहस्थमुपागतः। करुणापरो गृही तस्मै आश्रयं प्रायच्छत्।
Sanskrit Class 10 Chapter 8 Pdf
हिन्दी अनुवाद
किसी ग़रीब आदमी ने जब खूब परिश्रम ( मेहनत ) करके कुछ धन कमाया। उस धन से ( वह ) अपने पुत्र को एक महाविद्यालय ( कॉलेज ) में प्रवेश दिलाने में सफल हो गया। उसका पुत्र वहीं छात्रावास में निवास करते हुए पढ़ाई में जुट गया। एक बार वह पिता, बेटे की बीमारी को सुनकर व्याकुल हो गया और पुत्र को देखने के लिए चल पड़ा। परन्तु धन की कमी से दुःखी वह बस को छोड़कर पैदल ही चला।
पैदल चलते हुए शाम के समय में भी वह अपने गन्तव्य ( जाने के स्थान ) से दूर ही था। ‘रात के अंधेरे में फैले हुए ( विस्तृत ) निर्जन स्थान पर पदयात्रा उत्तम नहीं होती है।’ ऐसा सोचकर वह पास में स्थित गाँव में रात में रहने के लिए किसी गृहस्थी ( गृहस्वामी ) के घर पर आया। दयालु गृहस्वामी ने उसे आश्रय ( सहारा ) दे दिया।
Sanskrit Class 10 Chapter 8
Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 8 Vichitra Sakshi
2. विचित्रा दैवगतिः। तस्यामेव रात्रौ तस्मिन् गृहे कश्चन चौरः गृहाभ्यन्तरं प्रविष्टः। तत्र निहितामेकां मञ्जूषाम् आदाय पलायितः। चौरस्य पादध्वनिना प्रबद्धोऽतिथि: चौरशङकया तमन्वधावत् अगृह्णाच्च, परं विचित्रमघटत। चौरः एव उच्चैः क्रोशितुमारभत “चौरोऽयं चौरोऽयम्” इति। तस्य तारस्वरेण प्रबुद्धाः ग्रामवासिनः स्वगृहाद् निष्क्रम्य तत्रागच्छन् वराकमतिथिमेव च चौरं मत्वाऽभर्त्सयन्। यद्यपि ग्रामस्य आरक्षी एव चौर आसीत्। तत्क्षणमेव रक्षापुरुषः तम् अतिथिं चौरोऽयम् इति प्रख्याप्य कारागृहे प्राक्षिपत्।
हिन्दी अनुवाद
भाग्य की गति बड़ी अनोखी होती है। उसी रात में उस घर में कोई चोर घर के अन्दर घुस गया। वहाँ रखी एक संदूक को लेकर भागा। चोर के पैरों की आवाज़ से जगा अतिथि चोर के शक से उसके पीछे भागा और पकड़ लिया, परन्तु अनोखी घटना घटी। चोर ने ही जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया-“यह चोर है यह चोर है”। उसकी चिल्लाहट से जागे गाँव के निवासी अपने घर से निकलकर वहाँ आ गए और बेचारे अतिथि को ही चोर मानकर निन्दा करने लगे। जबकि गाँव का सिपाही ही चोर था। उसी क्षण ही रक्षक (सिपाही) ने उस अतिथि को यह चोर है ऐसा मानकर (निश्चित करके) जेल में डाल दिया।
NCERT Class 10 Chapter 8 Vichitra Sakshi Solution
3. अग्रिमे दिने स आरक्षी चौर्याभियोगे तं न्यायालयं नीतवान्। न्यायाधीशो बंकिमचन्द्रः उभाभ्यां पृथक्-पृथक् विवरणं श्रुतवान्। सर्व वृत्तमवगत्य स तं निर्दोषम् अमन्यत आरक्षिणं च दोषभाजनम्। किन्तु प्रमाणाभावात् स निर्णेतुं नाशक्नोत्। ततोऽसौ तौ अग्रिमे दिने उपस्थातुम् आदिष्टवान्। अन्येद्युः तौ न्यायालये स्व-स्व-पक्षं पुनः स्थापितवन्तौ। तदैव कश्चिद् तत्रत्यः कर्मचारी समागत्य न्यवेदयत् यत् इतः क्रोशद्वयान्तराले कश्चिज्जनः केनापि हतः। तस्य मृतशरीरं राजमार्गं निकषा वर्तते। आदिश्यतां किं करणीयमिति। न्यायाधीशः आरक्षिणम् अभियुक्तं च तं शवं न्यायालये आनेतुमादिष्टवान्।
Class 10 Sanskrit Chapter 8 Exercise
हिन्दी अनुवाद
अगले दिन वह सिपाही चोरी के अभियोग में उसको न्यायालय ले गया। न्यायाधीश ( जज़ ) बंकिमचन्द्र ने दोनों से अलग-अलग विवरण सुना। सारा विवरण जानकर उन्होंने उसे निर्दोष ( दोष रहित ) माना और सिपाही को दोषी। परन्तु प्रमाण के अभाव से वे निर्णय नहीं कर सके।
उसके बाद उन दोनों को उन्होंने अगले दिन हाज़िर होने का आदेश दिया। अन्य दिन उन दोनों ने न्यायालय में अपने-अपने पक्ष को पुनः ( फिर ) रखा। तभी वहाँ किसी कर्मचारी ने आकर निवेदन किया कि यहाँ से दो कोस की दूरी पर कोई व्यक्ति किसी के द्वारा मार डाला गया है। उसकी लाश राजमार्ग ( मुख्य सड़क ) के पास पड़ी है। आदेश दें कि क्या करना चाहिए। न्यायाधीश ने सिपाही और कैदी को उस लाश को न्यायालय में लाने का आदेश दिया।
Chapter 8 Sanskrit Class 10
4. आदेशं प्राप्य उभौ प्राचलताम्। तत्रोपेत्य काष्ठपटले निहितं पटाच्छादितं देहं स्कन्धेन वहन्तौ न्यायाधिकरणं प्रति प्रस्थितौ। आरक्षी सुपुष्टदेह आसीत्, अभियुक्तश्च अतीव कृशकायः। भारवतः शवस्य स्कन्धेन वहनं तत्कृते दुष्करम् आसीत्। स भारवेदनया क्रन्दति स्म। तस्य क्रन्दनं निशम्य मुदित आरक्षी तमुवाच-रे दुष्ट! तस्मिन् दिने त्वयाऽहं चोरिताया मञ्जूषाया ग्रहणाद् वारितः। इदानीं निजकृत्यस्य फलं भुङ्क्ष्व। अस्मिन् चौर्याभियोगे त्वं वर्षत्रयस्य कारादण्डं लप्स्यसे” इति प्रोच्य उच्चैः अहसत्। यथाकथञ्चिद् उभौ शवमानीय एकस्मिन् चत्वरे स्थापितवन्तौ।
हिन्दी अनुवाद
आज्ञा को पाकर दोनों चल पड़े। वहाँ पहुँचकर लकड़ी के तख्ते पर रखे कपड़े से ढके शरीर को कंधे पर उठाए हुए न्यायालय की ओर चल पड़े। सिपाही मोटे और शक्तिशाली शरीर वाला था और कैदी बहुत पतले शरीर वाला। भारी शव को कंधे से उठाना उसके लिए बहुत कठिन था। वह बोझ उठाने के कष्ट से रो रहा था। उसका रोना सुनकर प्रसन्न सिपाही उससे बोला-“अरे दुष्ट! उस दिन तूने मुझे चोरी की सन्दूक ( पेटी ) को लेने से रोका था। अब अपने किए का फल भोग। इस चोरी के इलज़ाम ( अभियोग ) में तू तीन वर्ष की जेल ( का दण्ड ) पाएगा।” ऐसा कहकर जोर से हँसने लगा। जैसे-तैसे दोनों ने लाश को लाकर एक चौराहे पर रख दिया।
Class 10 Sanskrit Chapter 8 Question Answer
Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 8 Vichitra Sakshi
5. न्यायाधीशेन पुनस्तौ घटनायाः विषये वक्तुमादिष्टौ। आरक्षिणि निजपक्षं प्रस्तुतवति आश्चर्यमघटत् स शव: प्रावारकमपसार्य न्यायाधीरामभिवाद्य निवेदितवान्-मान्यवर! एतेन आरक्षिणा अध्वनि यदुक्तं तद् वर्णयामि ‘त्वयाऽहं चोरितायाः मञ्जूषायाः ग्रहणाद् वारितः, अत: निजकृत्यस्य पुलं भुङ्क्ष्व। अस्मिन् चौर्याभियोगे त्वं वर्षत्रयस्य कारादण्डं लप्स्यसे’ इति।
न्यायाधीशः आरक्षिणे कारादण्डमादिश्य तं जनं ससस्मानं मुक्तवान्।
अतएवोच्यते-
दुष्कराण्यपि कर्माणि मतिवैभवशालिनः।
नीतिं युक्तिं समालम्ब्य लीलयैव प्रकुर्वते॥
Class 10 Sanskrit Chapter 8 Solutions
हिन्दी अनुवाद
न्यायाधीश ने फिर उन दोनों की घटना के विषय में बोलने के लिए आदेश दिया। सिपाही द्वारा अपने पक्ष को रखने पर आश्चर्यजनक घटना घटी। वह शव ( मुर्दा शरीर ) कंबल ओढ़े गए कपड़े को हटाकर न्यायाधीश को प्रणाम करके बोला-माननीय ( महोदय )! इस सिपाही ने रास्ते में जो कहा था उसको कह रहा हूँ ‘तुम्हारे द्वारा मुझे चोरी की गई मंजूषा ( बक्से ) को लेने से रोका गया था, इसलिए अपने किए हुए कर्म का फल भोगो। इस चोरी के अभियोग ( जुर्म ) में तुम तीन वर्ष की जेल का दंड पाओगे।’
न्यायाधीश ने सिपाही को जेल के दंड का आदेश देकर उस व्यक्ति को सम्मान के साथ छोड़ दिया। इसलिए कहा जाता है –
बुद्धि की संपत्ति से युक्त लोग नीति और युक्ति का सहारा लेकर कठिन कामों को भी खेल-खेल में ही ( आसानी से ) कर लेते हैं।
Sanskrit Chapter 8 Class 10
शब्दार्थाः
Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 8 Vichitra Sakshi
भूरि – अत्यधिक
उपार्जितवान् – कमाया
निवसन् – रहते हुए
प्रसृते – फैले हुए
विजने प्रदेशे – एकांत प्रदेश में
शुभावहा – कल्याणकारी
गृही – गृहस्थ
दैवगति – भाग्य की लीला
पलायितः – भाग गया, चला गया
प्रबुद्धः – जागा हुआ
Class 10 Sanskrit Chapter 8 Solution
त्वरितम् – शीघ्रगामी
प्रस्थितः – चला गया
अर्थकार्श्येन – धनाभाव के कारण
पदातिरेव – पैदल ही
पुंसः – मनुष्य का
निहिताम् – रखी हुई
अन्वधावत् – पीछे पीछे गया
क्रोशितुम् – जोर जोर से चिल्लाने
तारस्वरेण – ऊँची आवाज़ में
अभर्त्सयन् – भला बुरा कहा
NCERT Class 10 Sanskrit Chapter 8
प्रख्याप्य – स्थापित करके
चौर्याभियोगे – चोरी के आरोप में
नीतवान् – ले गया
अवगत्य – जानकर
दोषभाजनम् – दोषी
उपस्थातुम् – उपस्थित होके के लिए
आरक्षिणम् – सैनिक को
आदिष्टवान् – आज्ञा दी
स्थापितवन्तौ – स्थापना करके
तत्रत्यः – वहाँ का
Class 10th Sanskrit Chapter 8
न्यवेदयत – प्रार्थना की
क्रोशद्वयान्तराले – दो कोस के मध्य
आदिश्यताम् – आज्ञा दीजिये
उपेत्य – पास जाकर
काष्ठपटले – लकड़ी के तख्ते पर
निहितम् – रखा गया
पटाच्छादितम् – कपड़े से ढका हुआ
वहन्तौ – धारण करते हुए, वहन करते हुए
कृशकायः – कमजोर शरीर वाला
भारवतः – भारवाही
NCERT Solutions For Class 10 Sanskrit Chapter 8
भारवेदनया – भार की पीड़ा से
क्रन्दनम् – रोने को
निशम्य – सुन करके
मुदितः – प्रसन्न
भुङ्क्ष्वः – भोगो
चत्वरे – चौराहे पर
लप्स्यसे – प्राप्त करोगे
प्रावारकम् – ऊपर ओढ़ा हुआ वस्त्र
अपसार्य – दूर करके
अभिवाद्य – अभिवादन करके
Class 10 Chapter 8 Sanskrit
अध्वनि – रास्ते में
यदुक्तम् – जो कहा गया
वारितः – रोका गया
मुक्तवान् – छोड़ दिया
समालम्ब्य – सहारा लेकर
लीलयैव – खेल-खेल में
आदिश्य – आदेश देकर
अभ्यासः
Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 8 Vichitra Sakshi
प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत
Sanskrit Class 10 Chapter 8 Solution
(क) कीदृशे प्रदेशे पदयात्रा न सुखावहा ?
उत्तर. विजने प्रदेशे
(ख) अतिथिः केन प्रबुद्धः ?
उत्तर. चौरस्य पादध्वनिना
(ग) कृशकायः कः आसीत् ?
उत्तर. अभियुक्तः
(घ) न्यायाधीशः कस्मै कारागारदण्डम् आदिष्टवान् ?
उत्तर. आरक्षिणम्
(ङ) कं निकषा मृतशरीरम् आसीत् ?
उत्तर. राजमार्गम्
प्रश्न 2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
Class 10 Sanskrit Ch 8
(क) निर्धनः जनः कथं वित्तम् उपार्जितवान् ?
उत्तर. निर्धनः जनः भूरि परिश्रम्य किञ्चिद् वित्तम् उपार्जितवान्।
(ख) जनः किमर्थं पदातिः गच्छति ?
उत्तर. जनः अर्थकार्श्येन पीडितः बसयानं विहाय पदातिः गच्छति।
(ग) प्रसृते निशान्धकारे स किम् अचिन्तयत् ?
उत्तर. ‘प्रसृते निशान्धकारे विजने प्रदेशे पदयात्रा न शुभावहा’ इति सः अचिन्तयत्।
(घ) वस्तुतः चौरः कः आसीत् ?
उत्तर. वस्तुतः चौरः आरक्षी आसीत्।
(ङ) जनस्य क्रन्दनं निशम्य आरक्षी किमुक्तवान् ?
उत्तर. जनस्य क्रन्दनं निशम्य आरक्षी उक्तवान् “रे दुष्ट! त्वया अहं चोरितायाः मञ्जूषायाः ग्रहणाद् वारितः। इदानीं निजकृत्यस्य फलं भुङ्क्ष्व।अस्मिन् चौर्याभियोगे त्वं वर्षत्रयस्य कारादण्ड लप्स्यसे।” इति।
(च) मतिवैभवशालिनः दुष्कराणि कार्याणि कथं साधयन्ति ?
उत्तर. मतिवैभवशालिनः दुष्टकराणि कार्याणि नीति युक्तिं च समालम्ब्य लीलया एव साधयन्ति।
प्रश्न 3. रेखाङ्कितपदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
Ch 8 Sanskrit Class 10
(क) पुत्रं द्रष्टुं सः प्रस्थितः।
प्रश्न. कम् द्रष्टुं सः प्रस्थितः ?
(ख) करुणापरो गृही तस्मै आश्रयं प्रायच्छत् ।
प्रश्न. करुणापरो गृही कस्मै आश्रयं प्रायच्छत् ?
(ग) चौरस्य पादध्वनिना अतिथिः प्रबुद्धः।
प्रश्न. कस्य पादध्वनिना अतिथिः प्रबुद्धः ?
(घ) न्यायाधीशः बंकिमचन्द्रः आसीत्।
प्रश्न. न्यायाधीशः कः आसीत् ?
(ङ) स भारवेदनया क्रन्दति स्म।
प्रश्न. सः कया क्रन्दति स्म ?
(च) उभौ शवं चत्वरे स्थापितवन्तौ।
प्रश्न. उभौ शवं कुत्र स्थापितवन्तौ ?
प्रश्न 4. यथानिर्देशमुत्तरत
NCERT Class 10 Sanskrit Chapter 8 Solution
Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 8 Vichitra Sakshi
(क) ‘आदेशं प्राप्य उभौ अचलताम्’ अत्र किं कर्तृपदम् ?
उत्तर. उभौ
(ख) ‘एतेन आरक्षिणा अध्वनि यदुक्तं तत् वर्णयामि’-अत्र ‘मार्गे’ इत्यर्थे किं पदं प्रयुक्तम् ?
उत्तर. अध्वनि
(ग) ‘करुणापरो गृही तस्मै आश्रयं प्रायच्छत्’-अत्र ‘तस्मै’ इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम् ?
उत्तर. निर्धनजनाय
(घ) ‘ततोऽसौ तौ अग्रिमे दिने उपस्थातुम् आदिष्टवान्’ अस्मिन् वाक्ये किं क्रियापदम् ?
उत्तर. आदिष्टवान्
(ङ) ‘दुष्कराण्यपि कर्माणि मतिवैभवशालिन:’-अत्र विशेष्यपदं किम् ?
उत्तर. कर्माणि
प्रश्न 5. सन्धिं/सन्धिविच्छेदं च कुरुत
Class 10 Sanskrit Chapter 8 Question Answer
(क) पदातिरेव — पदातिः + एव
(ख) निशान्धकारे — निशा + अन्धकारे
(ग) अभि + आगतम् — अभ्यागतम्
(घ) भोजन + अन्ते — भोजनान्ते
(ङ) चौरोऽयम् — चौर: + अयम्
(च) गृह + अभ्यन्तरे — गृहाभ्यन्तरे
(छ) लीलयैव — लीलया + एव
(ज) यदुक्तम् — यत् + उक्तम्
(झ) प्रबुद्धः + अतिथि: — प्रबुद्धोऽतिथि:
प्रश्न 6. अधोलिखितानि पदानि भिन्न-भिन्नप्रत्ययान्तानि सन्ति। तानि पृथक् कृत्वा निर्दिष्टानां प्रत्ययानामधः लिखत
NCERT Sanskrit Class 10 Chapter 8
परिश्रम्य, उपार्जितवान्, दापयितुम्, प्रस्थितः, द्रष्टुम्, विहाय, पृष्टवान्, प्रविष्टः, आदाय, क्रोशितुम्, नियुक्तः, नीतवान्, निर्णेतुम्, आदिष्टवान्, समागत्य, मुदितः।
ल्यप् | क्त | क्तवतु | तुमुन् |
परिश्र्म्य | प्रस्थितः | उपार्जितवान् | दापयितुम् |
विहाय | प्रविष्टः | पृष्टवान् | द्रष्टुम् |
आदाय | नियुक्तः | नीतवान् | क्रोशितुम् |
समागत्य | मुदितः | आदिष्टवान् | निर्णेतुम् |
प्रश्न 7. (अ) अधोलिखितानि वाक्यानि बहुवचने परिवर्तयत
Sanskrit 10th Class Chapter 8
(क) स बसयानं विहाय पदातिरेव गन्तुं निश्चयं कृतवान् ।
उत्तर. ते बसयानं विहाय पदातिरेव गन्तुं निश्चयं कृतवन्तः।
(ख) चौरः ग्रामे नियुक्तः राजपुरुषः आसीत् ।
उत्तर. चौरा: ग्रामे नियुक्ताः राजपुरुषाः आसन्।
(ग) कश्चन चौरः गृहाभ्यन्तरं प्रविष्टः।
उत्तर. केचन चौराः गृहाभ्यन्तरं प्रविष्टाः।
(घ) अन्येद्युः तौ न्यायालये स्व-स्व-पक्षं स्थापितवन्तौ।
उत्तर. अन्येद्युः ते न्यायालये स्व-स्व-पक्षं स्थापितवन्तः।
(आ) कोष्ठकेषु दत्तेषु पदेषु यथानिर्दिष्टां विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत
Class 10 Ka Sanskrit Chapter 8
(क) सः गृहात् निष्क्रम्य बहिरगच्छत्। (गृहशब्दे पंचमी)
(ख) गृहस्थः अतिथये आश्रयं प्रायच्छत्। (अतिथिशब्दे चतुर्थी)
(ग) तौ न्यायाधिकारिणं प्रति प्रस्थितौ। (न्यायाधिकारिन् शब्दे द्वितीया)
(घ) अस्मिन् चौर्याभियोगे त्वं वर्षत्रयस्य कारादण्डं लप्स्यसे। (इदम् शब्दे सप्तमी)
(ङ) चौरस्य पादध्वनिना प्रबुद्धः अतिथिः। (पादध्वनिशब्दे तृतीया)
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