Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 11 Pranebhyoapi Priyah Suhrid

Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 11 Pranebhyoapi Priyah Suhrid कक्षा – 10 संस्कृत शेमूषी भाग – 2 एकादश: पाठ: प्राणेभ्योऽपि प्रिय: सुहृद् | हिन्दी अनुवाद | अभ्यास:

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एकादशः पाठ:

प्राणेभ्योऽपि प्रियः सुहृद्

( हिन्दी अनुवाद )

Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 11 Pranebhyoapi Priyah Suhrid

प्रस्तुतोऽयं पाठ: महाकवि विशाखदत्तस्य कृति: “मुद्रारक्षसम्” इति नाटकस्य प्रथमाङ्काद् उद्धृतोऽस्ति। नाटकस्य अस्मिन् भागे चन्दनदास: स्वसुहृदर्थम् प्राणोत्सर्गं कर्तुमपि प्रयतते। अत्र कथानके नन्दवंशस्य विनाशानन्तरं तस्य हितैषिणां बन्धनक्रमे चाणक्येन चन्दनदास: सम्प्राप्तः। बुद्धोऽपि   चन्दनदास: अमात्यादीनां विषये न किमपि रहस्यं प्रोक्तवान्। वार्तालापप्रसङ्गे राजदण्डभीति: समुत्पादनेऽपि सः गोप्यरहस्यम् अनुद्घाट्य राजदण्डं स्वीकृत्य सुहृदि निष्ठां प्रबोधयति।

हिन्दी अनुवाद

प्रस्तुत यख पाठ महाकवि विशाखादत्त की रचना “मुद्राराक्षसम” नाटक के पहले अंक से लिया गया है। नाटक के इस भाग में चंदनदास अपने मित्र के लिए प्राणों का त्याग करने का प्रयास करता है। यहाँ कथानक में नंद वंश के विनाश के बाद उसके हितैषियों को पकड़ने के क्रम मे चंदनदास चाणक्य के पास पहुँचा। पकड़े जाने पर भी चंदनदास ने मंत्री आदि के विषय मे कुछ भी रहस्य नही बताया। बातचीत के प्रसंग में राजदण्ड का भय उत्पन्न होने पर भी उसने गोपनीय रहस्य को बिना उजागर किये राजदण्ड को स्वीकार करके अपने मित्र के प्रति निष्ठा को प्रकट किया।

Class 10 Sanskrit Chapter 11

1. चाणक्यः – वत्स! मणिकारश्रेष्ठिनं चन्दनदासमिदानीं द्रष्टुमिच्छामि।

शिष्यः – तथेति ( निष्क्रम्य चन्दनदासेन सह प्रविश्य ) इतः इतः श्रेष्ठिन्! ( उभौ परिक्रामतः )

शिष्यः – ( उपसृत्य ) उपाध्याय! अयं श्रेष्ठी चन्दनदासः।

चन्दनदासः – जयत्वार्यः

चाणक्यः – श्रेष्ठिन्! स्वागतं ते। अपि प्रचीयन्ते संव्यवहाराणां वृद्धिलाभा: ?

चन्दनदासः – ( आत्मगतम् ) अत्यादरः शङ्कनीयः। ( प्रकाशम् ) अथ किम्। आर्यस्य प्रसादेन अखण्डिता में वणिज्या।

चाणक्यः – भो श्रेष्ठिन्! प्रीताभ्यः प्रकृतिभ्यः प्रतिप्रियमिच्छन्ति राजानः।

चन्दनदासः – आज्ञापयतु आर्यः, किं कियत् च अस्मज्जनादिष्यते इति।

NCERT Sanskrit Class 10 Chapter 11

हिन्दी अनुवाद

चाणक्य – हे वत्स ( पुत्रवत् शिष्य )। जौहरी सेठ चन्दनदास को इस समय देखना ( मिलना ) चाहता हूँ।

शिष्य – ठीक है ( वैसा ही हो ) ( निकलकर चन्दनदास के साथ प्रवेश करके ) इधर-से-इधर से श्रेष्ठी ( सेठ जी )! ( दोनों घूमते है )

शिष्य – ( पास जाकर ) आचार्य जी! यह सेठ चन्दनदास है।

चन्दनदास – आर्य की विजय हो

चाणक्य – सेठ! तुम्हारा स्वागत है। क्या व्यवहारों का ( कारोबार में ) लाभ बढ़ रहे हैं ?

चन्दनदास – ( मन-ही-मन में ) अधिक सम्मान शंका के योग्य है। ( प्रकट रूप से ) और क्या। आर्य की कृपा से मेरा व्यापार अखण्डित है।

चाणक्य – अरे सेठ! प्रसन्न स्वभाव वालों ( लोगों ) से राजा लोग उपकार के बदले किए गए उपकार को चाहते हैं।

चन्दनदास – आर्य आज्ञा दें, क्या और कितना इस व्यक्ति से आशा करते हैं।

Sanskrit Class 10 Chapter 11

2. चाणक्यः – भो श्रेष्ठिन्! चन्द्रगुप्तराज्यमिदं न नन्दराज्यम्। नन्दस्यैव अर्थसम्बन्धः प्रीतिमुत्पादयति। चन्द्रगुप्तस्य तु भवतामपरिक्लेश एव।

चन्दनदासः – ( सहर्षम् ) आर्य! अनुगृहीतोऽस्मि।

चाणक्यः – भो श्रेष्ठिन्! स चापरिक्लेशः कथमाविर्भवति इति ननु भवता प्रष्टव्या: स्मः।

चन्दनदासः – आज्ञापयतु आर्यः।

चाणक्यः – राजनि अविरुद्धवृत्तिर्भव।

चन्दनदासः – आर्य! कः पुनरधन्यो राज्ञो विरुद्ध इति आर्येणावगम्यते ?

चाणक्यः – भवानेव तावत् प्रथमम्।

चन्दनदासः – ( कर्णौ पिधाय ) शान्तं पापम्, शान्तं पापम्। कीदृशस्तुणानामग्निना सह विरोधः ?

Sanskrit 10th Class Chapter 11

हिन्दी अनुवाद

चाणक्य – अरे सेठ! यह चन्द्रगुप्त का राज्य है नन्द का राज्य नहीं। नन्द का राज्य ही धन से प्रेम रखता है।  चन्द्रगुप्त तो आपके सुख से ही ( प्रेम रखता है )।

चन्दनदास – ( खुशी के साथ ) आर्य! आभारी हूँ।

चाणक्य – हे सेठ! और वह दुःख का अभाव कैसे उत्पन्न होता है यही आपसे पूछने योग्य है। चन्दनदास – आर्य आज्ञा दीजिए।

चाणक्य — राजा के लिए विरुद्ध व्यवहार वाला न बनो।

चन्दनदास – आर्य! फिर कौन अभागा राजा के विरुद्ध है ऐसा आर्य समझते हैं।

चाणक्य – सबसे पहले तो आप ही।

चन्दनदास – ( कानों को छूकर/बन्द करके ) क्षमा कीजिए, क्षमा कीजिए। सूखी घासों का आग के साथ कैसा विरोध ?

NCERT Class 10 Chapter 11 Pranebhyoapi Priyah Suhrid Solution

3. चाणक्यः – अयमीदृशो विरोधः यत् त्वमद्यापि राजापथ्यकारिणोऽमात्यराक्षसस्य गृहजनं स्वगृहे रक्षसि।

चन्दनदासः – आर्य! अलीकमेतत्। केनाप्यनार्येण आर्याय निवेदितम्।

चाणक्यः – भो श्रेष्ठिन्! अलमाशङ्कया। भीताः पूर्वराजपुरुषाः पौराणामिच्छतामपि गृहेषु गृहजनं निक्षिप्य देशान्तरं व्रजन्ति। ततस्तत्प्रच्छादनं दोषमुत्पादयति।

चन्दनदासः – एवं नु इदम्। तस्मिन् समये आसीदस्मद्गृहे अमात्यराक्षसस्य गृहजन इति।

चाणक्यः – पूर्वम् ‘अनृतम्’, इदानीम् “आसीत्” इति परस्परविरुद्धे वचने।

चन्दनदासः – आर्य! तस्मिन् समये आसीदस्मद्गृहे अमात्यराक्षसस्य गृहजन इति।

Class 10 Ka Sanskrit Chapter 11

हिन्दी अनुवाद

चाणक्य – यह ऐसा विरोध है कि तुम आज भी राजा का बुरा करने वाले अमात्य राक्षस के परिवार को अपने घर में रखते हो।

चन्दनदास – हे आर्य! यह झूठ है। किसी दुष्ट ने आर्य को ( गलत ) कहा है।

चाणक्य – हे सेठ! आशंका ( संदेह ) मत करो। डरे हुए पिछले राजपुरुष पुर ( नगर ) वासियों की इच्छा से भी ( उनके ) घरों में परिवार जन को रखकर ( छोड़कर ) दूसरे स्थानों को चले जाते हैं। उससे उन्हें छिपाने का दोष पैदा होता है।

चन्दनदास – निश्चय से ऐसा ही है। उस समय हमारे घर में अमात्य राक्षस का परिवार था।

चाणक्य – पहले ‘झूठ’ अब “था” ये दोनों आपस में विरोधी वचन हैं।

चन्दनदास – आर्य! उस समय हमारे घर में अमात्य राक्षस का परिवार था।

Chapter 11 Sanskrit Class 10

4. चाणक्यः – अथेदानीं क्व गतः?

चन्दनदासः – न जानामि।

चाणक्यः – कथं न ज्ञायते नाम ? भो श्रेष्ठिन्! शिरसि भयम्, अतिदूरं तत्प्रतिकारः।

चन्दनदासः – आर्य! किं मे भयं दर्शयसि ? सन्तमपि गेहे अमात्यराक्षसस्य गृहजनं न समर्पयामि, किं पुनरसन्तम् ?

चाणक्यः – चन्दनदास! एष एव ते निश्चयः?

चन्दनदासः – बाढम्, एष एव मे निश्चयः।

चाणक्यः – ( स्वागतम् ) साधु! चन्दनदास साधु।

Sanskrit Class 10 Chapter 11 Pdf

हिन्दी अनुवाद

चाणक्य – अब इस समय कहाँ गया है ?

चन्दनदास – नहीं जानता हूँ।

चाणक्य – क्यों नहीं जानते हो ? हे सेठ! सिर पर डर है, उसका समाधान बहुत दूर है।

चन्दनदास – आर्य! क्यों मुझे डर दिखाते हो ? अमात्य राक्षस के परिवार के घर में होने पर भी नहीं समर्पित करता, फिर न होने पर तो बात ही क्या है ?

चाणक्य – हे चन्दनदास! यही तुम्हारा निश्चय है ?

चन्दनदास – हाँ, यही मेरा निश्चय है।

चाणक्य – ( अपने मन में ) शाबाश! चन्दनदास शाबाश।

Class 10 Sanskrit Chapter 11 Question Answer

5. सुलभेष्वर्थलाभेषु परसंवेदने जने।

क इदं दुष्करं कुर्यादिदानीं शिविना विना॥

अन्वयः परसंवेदने जने सुलभेषु अर्थलाभेषु शिविना विना इदानीं कः इदं दुष्करं ( कार्यं ) कुर्यात।

Class 10 Sanskrit Chapter 11 Exercise

हिन्दी अनुवाद

दूसरे की वस्तु को समर्पित करने पर बहुत धन का लाभ सरल होने की स्थिति में दूसरों की वस्तु की सुरक्षा रूपी कठिन कार्य को एक शिवि को छोड़कर तुम्हारे अलावा कौन कर सकता है ?

Class 10 Sanskrit Chapter 11 Question Answer

शब्दार्था:

मणिकारश्रेष्ठिनम् – मणियो का व्यापारी

निष्क्रम्य – निकालकर

उपसृत्य – पास जाकर

परिक्रामत: – ( दोनों ) परिभ्रमण करते है

प्रचीयन्ते – बढ़ते है

संव्यवहाराणाम् – व्यापारों का

आत्मगतम् – मन ही मन

शङ्कनीयः – शंका करने योग्य

अखण्डिता – बाधा रहित

वणिज्या – व्यापारं

Sanskrit Chapter 11 Class 10

प्रीताभ्य: – प्रसन्न जनो के प्रति

प्रतिप्रियम् – उपकार के बदले किया गया उपकार

अपरिक्लेशः – दुख का अभाव

आज्ञापयतु – आदेश दे

अर्थसम्बन्ध: – धन का सम्बन्ध

परिक्लेश: – दुःख

प्रष्टव्या: – पूछने योग्य

अवगम्यते – जाना जाता है

अविरुद्धवृत्ति: – विरोधरहित स्वभाव वाला

पिधाय – बंद करके

Class 10 Sanskrit Chapter 11 Solution

राजापथ्यकारिण: – राजाओं का अहित करने वाले

अलीकम् – झूठ

अनार्येण – दुष्ट के द्वारा

पौराणाम् – नगर के लोगो के

निक्षिप्य – रखकर

व्रजन्ति – जाते है

प्रच्छादनम् – छिपाना

अमात्य: – मन्त्री

असन्तम् – न रहने वाले

बाढम् – हाँ

Class 10 Sanskrit Chapter 11 Solutions

संवेदने – समर्पण पर

जने – व्यक्ति को लेकर

अभ्यास:

प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत

NCERT Class 10 Sanskrit Chapter 11

(क) कः चन्दनदासं द्रष्टुम् इच्छति ?

उत्तर. चाणक्यः

(ख) चन्दनदासस्य वणिज्या कीदृशी आसीत् ?

उत्तर. अखण्डिता

(ग) किंम् दोषम् उत्पादयति ?

उत्तर. रात्रोः प्रच्छादनम्

(घ) चाणक्यः कं द्रष्टुम् इच्छति ?

उत्तर. चन्दनदासम्

(ङ) कः शङ्कनीयः भवति ?

उत्तर. अत्यादरः

प्रश्न 2. अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

Class 10th Sanskrit Chapter 11

(क) चन्दनदासः कस्य गृहजनं स्वगृहे रक्षति स्म ?

उत्तर. चन्दनदासः अमात्यराक्षसस्य गृहजनं स्वगृहे रक्षति स्म।

(ख) तृणानां केन सह विरोधः अस्ति ?

उत्तर. तृणानां अग्निना सह विरोधः अस्ति।

(ग) पाठेऽस्मिन् चन्दनदासस्य तुलना केन सह कृता ?

उत्तर. पाठेऽस्मिन् चन्दनदासस्य तुलना शिविना सह कृता।

(घ) प्रीताभ्यः प्रकृतिभ्यः प्रतिप्रियं के इच्छन्ति ?

उत्तर. प्रीताभ्यः प्रकृतिभ्यः प्रतिप्रियं राजानः इच्छन्ति।

(ङ) कस्य प्रसादेन चन्दनदासस्य वणिज्या अखण्डिता ?

उत्तर. आर्यस्य प्रसादेन चन्दनदासस्य वणिज्या अखण्डिता।

प्रश्न 3. स्थूलाक्षरपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

NCERT Solutions For Class 10 Sanskrit Chapter 11

(क) शिविना विना इदं दुष्करं कार्यं कः कुर्यात्।

उत्तर. केन विना इदं दुष्करं कार्य कः कुर्यात् ?

(ख) प्राणेभ्योऽपि प्रियः सुहृत्।

उत्तर. प्राणेभ्योऽपि प्रियः कः ?

(ग) आर्यस्य प्रसादेन मे वणिज्या अखण्डिता।

उत्तर. कस्य प्रसादेन में वणिज्या अखण्डिता ?

(घ) प्रीताभ्यः प्रकृतिभ्यः राजानः प्रतिप्रियमिच्छन्ति ।

उत्तर. प्रीताभ्यः प्रकृतिभ्यः के प्रतिप्रियमिच्छन्ति

(ङ) तृणानाम् अग्निना सह विरोधो भवति ।

उत्तर. केषाम् अग्निना सह विरोधो भवति ?

प्रश्न 4. यथानिर्देशमुत्तरत

Class 10 Chapter 11 Sanskrit

(क) ‘अखण्डिता में वणिज्या’-अस्मिन् वाक्ये क्रियापदं किम् ?

उत्तर. अखण्डिता

(ख) पूर्वम् ‘अनृतम्’ इदानीम् आसीत् इति परस्परविरुद्धे वचने-अस्मात् वाक्यात् ‘अधुना’ इति पदस्य समानार्थकपदं चित्वा लिखत।

उत्तर. इदानीम्

(ग) ‘आर्य! किं मे भयं दर्शयसि’ अत्र ‘आर्य’ इति सम्बोधनपदं कस्मै प्रयुक्तम् ?

उत्तर. चाणक्याय

(घ) ‘प्रीताभ्यः प्रकृतिभ्यः प्रतिप्रियमिच्छन्ति राजानः’ अस्मिन् वाक्ये कर्तृपदं किम् ?

उत्तर. राजानः

(ङ) तस्मिन् समये आसीदस्मद्गृहे’ अस्मिन् वाक्ये विशेष्यपदं किम् ?

उत्तर. समये

प्रश्न 5. निर्देशानुसारं सन्धिं/सन्धिविच्छेदं कुरुत

Sanskrit Class 10 Chapter 11 Solution

(क) यथा – कः + अपि = कोऽपि।

प्राणेभ्य: + अपि = प्राणेभ्योऽपि

सज्जः + अस्मि = सज्जोऽस्मि।

आत्मनः + अधिकारसदृशम् = आत्मनोऽधिकारसदृशम्।

(ख) यथा – सत् + चित् = सच्चित्

शरत् + चन्द्रः = शरच्चन्द्रः

कदाचित् + च = कदाचिच्च

प्रश्न 6. कोष्ठकेषु दत्तयोः पदयोः शुद्धं विकल्पं विचित्य रिक्तस्थानानि पूरयत

Class 10 Sanskrit Ch 11

(क) चन्दनदासेन विना इदं दुष्करं कः कुर्यात् ? ( चन्दनदासस्य/चन्दनदासेन )

(ख) गुरवे इदं वृत्तान्तं निवेदयामि। ( गुरवे/गुरोः )

(ग) आर्यस्य प्रसादेन अखण्डिता मे वणिज्या। ( प्रसादात्/प्रसादेन )

(घ) अलम् कलहेन। ( कलहेन/कलहात् )

(ङ) वीरः सिंहात् बालं रक्षति। ( सिंहेन/सिंहात् )

(च) कुक्कुरात् भीतः मम भ्राता सोपानात् अपतत्। ( कुक्कुरेण/कुक्कुरात् )

(छ) छात्रः आचार्यम् प्रश्नं पृच्छति। ( आचार्यम्/आचार्येण )

प्रश्न 7. अधोदत्तमञ्जूषातः समुचितपदानि गृहीत्वा विलोमपदानि लिखत

Ch 11 Sanskrit Class 10

असत्यम्, पश्चात्, गुणः, आदरः, तदानीम्, तत्र

(क) अनादरः – आदरः

(ख) दोषः – गुणः

(ग) पूर्वम् – पश्चात्

(घ) सत्यम् – असत्यम्

(ङ) इदानीम् – तदानीम्

(च) अत्र – तत्र

प्रश्न 8. उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितानि पदानि प्रयुज्य पञ्चवाक्यानि रचयत

NCERT Class 10 Sanskrit Chapter 11 Solution

यथा – निष्क्रम्य – शिक्षिका पुस्तकालयात् निष्क्रम्य कक्षां प्रविशति।

(क) उपसृत्य – शिष्याः गुरुकुलं उपसृत्य वेदान् अपठन्।

(ख) प्रविश्य – कक्षायां प्रविश्य गुरुः छात्रान् अपाठयत्।

(ग) द्रष्टुम् – अद्य वयं लालकिलां द्रष्टुम् गमिष्यन्ति।

(घ) इदानीम् – इदानीम् मम वार्तां श्रृणु।

(ङ) अत्र – अत्र उपविशन्तु भवन्तः।

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