Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 1 Shuchiparyavaranam

Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 1 Shuchiparyavaranam | HINDI TRANSLATION | QUESTION ANSWER | कक्षा – 10 संस्कृत शेमूषी भाग – 2 प्रथमः पाठः शुचिपर्यावरणम् | हिन्दी अनुवाद | अभ्यास:

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प्रथम: पाठ:

शुचिपर्यावरणम्

Class 10 NCERT Sanskrit Shemushi Part 2 Chapter 1 Shuchiparyavaranam

( हिन्दी अनुवाद )

Class 10 Sanskrit Chapter 1

अयं पाठः आधुनिकसंस्कृतकवेः हरिदत्तशर्मणः “लसल्लतिका” इति रचनासंङ्ग्रहात् संङ्कलितोऽस्ति। अत्र कवि महानगराणां यन्त्राधिक्येन प्रवर्धितप्रदूषणोपरि चिन्तितमनाः दृश्यते। सः कथयति यत् इदं लौहचक्रम् शरीरस्य मनसश्च शोषकम् अस्ति। अस्मादेव वायुमण्डलं मलिनं भवति। कविः महानगरीयजीवनात् सूदूरं नदी – निर्झरं वृक्षसमूहं लताकुञ्जं पक्षिकुलकलरवकूजितं वनप्रदेशं प्रति गमनाय अभिलषति।

हिन्दी अनुवाद – यह पाठ आधुनिक संस्कृत कवि हरिदत्त शर्मा के रचना-संग्रह ‘लसल्लतिका’ से संकलित है। यहां कवि ने महानगरों की यांत्रिक-बहुलता से बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह लौहचक्र तन-मन का शोषक है, जिससे वायुमंडल मलिन हो रहे हैं। कवि महानगरीय जीवन से दूर, नदी-निर्झर, वृक्षसमूह, लताकुञ्ज एवं पक्षियों से गुञ्जित वनप्रदेश की ओर चलने की अभिलाषा व्यक्त करता है।

Sanskrit Class 10 Chapter 1

1. दुर्वहमत्र जीवितं जातं प्रकृतिरेव शरणम्।

शुचि-पर्यावरणम्॥

महानगरमध्ये चलदनिशं कालायसचक्रम्।

मनः शोषयत् तनुः पेषयद् भ्रमति सदा वक्रम्॥

दुर्दान्तैर्दशनैरमुना स्यान्नैव जनग्रसनम्। शुचि… ॥1॥

अन्वयः – अत्र जीवितं दुर्लभम्। प्रकृतिरेव शरणम ( अस्ति )। महानगरमध्ये अनिशं चलत् कालायसचक्रं मनः शोषयत् तनु पेषयत् सदा वक्रं भ्रमति। अमुना दुर्दान्तैः दशनैः जनग्रसनम् एव न स्यात्।

हिन्दी अनुवाद – यहां जीवित रहना ( जीवन ) कठिन हो गया है, अब प्रकृति की ही शरण है, अर्थात् शुद्ध पर्यावरण ही ( हमारा आश्रय ) है। महानगरों के बीच रात-दिन काले लोहे का पहिया मन को सुखाते हुए और शरीर को पीसते हुए सदा टेढ़ा चलता रहता है। इसके  कठोर ( भयानक ) दाँतों से जनता का नाश न हो, इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही ( हमारा आश्रय ) है।

NCERT Class 10 Chapter 1 Vidyalaya Solution

2. कज्जलमलिनं धूमं मुञ्चति शतशकटीयानम्।

वाष्पयानमाला संधावति वितरन्ती ध्वानम्॥

यानानां पङ्क्तयो ह्यनन्ताः कठिनं संसरणम्। शुचि …॥2॥

अन्वयः – शतशकटीयानं कज्जलमलिनं धूमं मुञ्चति।ध्वानं वितरन्ती वाष्पयानमाला सन्धावति।यानानां पङ्क्तयः हि अनन्ताः। संसरणम् (अपि ) कठिनम् (अस्ति )।

हिन्दी अनुवाद – सैकड़ों मोटरगाड़ियाँ काजल की तरह मैले ( काले ) धुएँ को छोड़ रही हैं। अनेकानेक रेलगाड़ियाँ चारों ओर शोर करती हुईं दौड़ रही हैं। गाड़ियों की पंक्तियाँ अनंत हैं, अतः चलना भी कठिन हो गया है। इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही ( हमारी शरण ) है।

Chapter 1 Sanskrit Class 10

3. वायुमण्डलं भृशं दूषितं न हि निर्मलं जलम्।

कुत्सितवस्तुमिश्रितं भक्ष्यं समलं धरातलम्॥

करणीयं बहिरन्तर्जगति तु बहु शुद्धीकरणम्। शुचि…॥3॥

अन्वयः – वायुमण्डलं भृशं दूषितम् (अस्ति )।जलम् अपि निर्मलं न। भक्ष्यं कुत्सितवस्तुमिश्रितम्। धरातलं समलम्। बहिरन्तर्जगति तु बहु शुद्धीकरणं करणीयम्।

हिन्दी अनुवाद – आज वायुमण्डल बहुत प्रदूषित हो गया है और जल भी शुद्ध नहीं रहा। खाने योग्य सारी वस्तुएँ विषैली वस्तुओं से मिलावटी हो गई हैं तथा सारी धरती मैली ( अशुद्ध ) हो चुकी है। संसार मे बाहर-भीतर अत्यधिक शुद्धीकरण करना चाहिए। इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही हमारी शरण है

Class 10 Sanskrit Chapter 1 Question Answer

4. कञ्चित् कालं नय मामस्मान्नगराद् बहुदूरम्।

प्रपश्यामि ग्रामान्ते निर्झर-नदी-पयःपूरम् ॥

एकान्ते कान्तारे क्षणमपि मे स्यात् सञ्चरणम्। शुचि…॥4॥

अन्वयः – अस्मात् नगरात् बहुदूरं मा कञ्चित् कालं नय।( अहं ) ग्रामान्ते निर्झरनदीपयः पूरं प्रपश्यामि। ( तत्र ) एकान्ते कान्तारे मे क्षणमपि सञ्चरणं स्यात्।

हिन्दी अनुवाद – कुछ समय के लिए मुझे इस ( प्रदूषित ) नगर से बहुत दूर ले चलो। जहाँ गाँव की सीमा पर जल से भरी हुई नदी, झरने और तालाब को देखू। एकान्त जंगल में मेरा क्षण भर के लिए भी विचरण हो जाए। इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही हमारी शरण है।

Sanskrit Chapter 1 Class 10

5. हरिततरुणां ललितलतानां माला रमणीया।

कुसुमावलिः समीरचालिता स्यान्मे वरणीया॥

नवमालिका रसालं मिलिता रुचिरं संगमनम्। शुचि…॥5॥

अन्वयः – हरिततरूणां ललितलतानां माला रमणीया ( अस्ति )। समीरचालिता कुसुमावलिः मे वरणीया स्यात्। रसालं मिलिता नवमालिका रुचिरं सङ्गमनम्।

हिन्दी अनुवाद – हरे-भरे वृक्षों की, सुन्दर लताओं की सुन्दर माला मनोहर है, हवा से हिलाई गई फूलों की पंक्ति ( गुच्छे ) चुनने योग्य हैं। आम के साथ मिली हुई चमेली का सुन्दर मेल हैं।

Class 10 Sanskrit Chapter 1 Solution

6. अयि चल बन्धो! खगकुलकलरव गुञ्जितवनदेशम्।

पुर-कलरव सम्भ्रमितजनेभ्यो धृतसुखसन्देशम्॥

चाकचिक्यजालं नो कुर्याज्जीवितरसहरणम्। शुचि…॥6॥

अन्वयः – अयि बन्धो! खगकुलकलरव- गुञ्जितवनदेशं पुरकलरव- सम्भ्रमितजनेभ्यः धृतसुखसन्देशं चल। चाकचिक्यजालं जीवितरसहरणं नो कुर्यात्।

हिन्दी अनुवाद – अरे मित्र ! पक्षियों के समूह की सुन्दर आवाज़ से गुंजायमान वन में चलो। नगर की आवाज़ ( कोलाहल ) से परेशान लोगों को धैर्य के सुख का सन्देश दो, नगरों की चकाचौंध भरी दुनिया कहीं हमारे जीवन के रस का हरण न कर ले। इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही हमारी शरण है।

NCERT Class 10 Sanskrit Chapter 1

7. प्रस्तरतले लतातरुगुल्मा नो भवन्तु पिष्टाः।

पाषाणी सभ्यता निसर्गे स्यान्न समाविष्टा॥

मानवाय जीवनं कामये नो जीवन्मरणम्। शुचि…॥7॥

अन्वयः – लतातरुगुल्माः प्रस्तरतले पिष्टाः नो भवन्तु। पाषाणी सभ्यता निसर्गे समाविष्टा न स्यात्।मानवाय जीवनं कामये, जीवनन्मरणं न ( कामये )।

हिन्दी अनुवाद – पत्थर के तल ( नीचे ) पर लताएँ, पेड़ और झाड़ियाँ नहीं पिसें। प्रकृति में पथरीली सभ्यता समाविष्ट ( सम्मिलित ) न हो। मैं मनुष्य के लिए जीवन की कामना करता हूँ, तथा मनुष्य की  मृत्यु कीकामना नही करता हूं। इसलिए शुद्ध पर्यावरण ही हमारी शरण है।

Class 10th Sanskrit Chapter 1

शब्दार्थाः

दुर्वहम् – कठिन, दूभर

जीवितम् – जीवन

अनिशम् – दिन – रात

कालायसचक्रम् – लोहे का चक्र

शोषयत् – सुखाते हुए

तनुः – शरीर

पेषयद् – पीसते हुए

वक्रम् – टेढ़ा

दुर्दान्तैः – भयानक ( से )

दशनैः – दाँतो से

NCERT Solutions For Class 10 Sanskrit Chapter 1

अमुना – इससे

जनग्रसनम – मानव विनाश

कज्जलमलिनम् – काजल से मलिन ( कला )

धूमः – धुआँ

मुञ्चति – छोड़ता हैं

शतशकटीयानम् – सैकड़ो मोटर गाड़ियां

वाष्पयानमाला – रेलगाड़ी की पंक्ति

वितरन्ती – देती हुई

ध्वानम् – कोलाहल

संसरणम् – चलना

Class 10 Chapter 1 Sanskrit

भृशं – अत्यधिक

भक्ष्यम् – भोज्य पदार्थ

समलम् – मलयुक्त, गंदगी से युक्त

ग्रामान्ते – गाँव की सीमा पर

पयः पूरम् – जल से भरा हुआ तालाब

कान्तारे – जंगल में

कुसुमावलिः – फूलो की पंक्ति

समीरचालिता – हवा से चलाई हुई

रुचिरम् – सुंदर

खगकुलकलरव – पक्षियों के समूह की ध्वनि

Sanskrit Class 10 Chapter 1 Solution

चाकचिक्यजालम् – चकाचौंध भरी दुनिया

प्रस्तरतले – पत्थरो के तल पर

लतातरुगुल्माः – लता, वृक्ष और झाड़ी

पाषाणी – पथरीली

निसर्गे – प्रकृति में

अभ्यासः

प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत

Class 10 Sanskrit Ch 1

(क) अत्र जीवितं कीदृशं जातम् ?

उत्तर. दुर्वहम्।

(ख) अनिशं महानगरमध्ये किं प्रचलति ?

उत्तर. कालायसचक्रम्।

(ग) कुत्सितवस्तुमिश्रितं किमस्ति ?

उत्तर. भक्ष्यम्।

(घ) अहं कस्मै जीवनं कामये ?

उत्तर. मानवाय।

(ङ) केषां माला रमणीया ?

उत्तर. ललितलतानां।

प्रश्न 2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

Ch 1 Sanskrit Class 10

(क) कविः किमर्थं प्रकृतेः शरणम् इच्छति ?

उत्तर. सर्वत्र प्रदूषणम् अस्ति। अतः कविः प्रकृतेः शरणम् इच्छति।

(ख) कस्मात् कारणात् महानगरेषु संसरणं कठिनं वर्तते ?

उत्तर. यानानां हि अनन्ताः पङ्क्तयः महानगरेषु सन्ति अतः तत्र संसरणं कठिनं वर्तते।

(ग) अस्माकं पर्यावरणे किं किं दूषितम् अस्ति ?

उत्तर. अस्माकं पर्यावरणे जलं भोज्यं वायुश्च दुषिताः सन्ति।

(घ) कविः कुत्र सञ्चरणं कर्तुम् इच्छति ?

उत्तर. कविः एकान्ते कान्तारे सञ्चरणं कर्तुम् इच्छति।

(ङ) स्वस्थजीवनाय कीदृशे वातावरणे भ्रमणीयम् ?

उत्तर. स्वस्थजीवनाय वनप्रदेशे भ्रमणीयम्।

(च) अन्तिमे पद्यांशे कवेः का कामना अस्ति ?

उत्तर. अन्तिमे पद्यांशे कवि मानवाय जीवनं कामये।

प्रश्न 3. सन्धिं / सन्धिविच्छेदं कुरुत

NCERT Class 10 Sanskrit Chapter 1 Solution

(क) प्रकृतिः + एव = प्रकृतिरेव

(ख) स्यात् + + एव = स्यान्नैव

(ग) हि + अनन्ता = ह्यनन्ताः

(घ) बहिः + अन्तः + जगति = बहिरन्तर्जगति

(ङ) अस्मात् + नगरात् = अस्मान्नगरात्

(च) सम् + चरणम् = सञ्चरणम्

(छ) धूमम् + मुञ्चति = धूमंमुञ्चति

प्रश्न 4. अधोलिखितानाम् अव्ययानां सहायतया रिक्तस्थानानि पूरयत

Class 10 Sanskrit Chapter 1 Question Answer

(भृशम्, यत्र, तत्र, अत्र, अपि, एव, सदा, बहिः)

(क) इदानीं वायुमण्डलं भृशम् प्रदूषितमस्ति।

(ख) अत्र जीवनं दुर्वहम् अस्ति।

(ग) प्राकृतिक वातावरणे क्षणं सञ्चरणम् अपि लाभदायकं भवति।

(घ) पर्यावरणस्य संरक्षणम् एव प्रकृतेः आराधना।

(ङ) सदा समयस्य सदुपयोगः करणीयः।

(च) भूकम्पित-समये बहिः गमनमेव उचितं भवति।

(छ) यत्र हरीतिमा तत्र शुचि पर्यावरणम्।

प्रश्न 5. (अ) अधोलिखितानां पदानां पर्यायपदं लिखत

NCERT Sanskrit Class 10 Chapter 1

(क) सलिलम् – जलम्

(ख) आम्रम् – रसालम्

(ग) वनम् – काननम्

(घ) शरीरम् – तनुः

(ङ) कुटिलम् – वक्रम्

(च) पाषाणः – प्रस्तर:

(आ). अधोलिखितपदानां विलोमपदानि पाठात् चित्वा लिखत

Sanskrit 10th Class Chapter 1

(क) सुकरम् – दुर्वहम्

(ख) दूषितम् – शुचि

(ग) गृह्णन्ती – वितरन्ती

(घ) निर्मलम् – मलिनम्

(ङ) दानवाय – मानवाय

(च) सान्ताः – अनन्ताः

प्रश्न 6. उदाहरणमनुसृत्य पाठात् चित्वा च समस्तपदानि समासनाम च लिखत

Class 10 Ka Sanskrit Chapter 1

यथा – विग्रह पदानिसमस्तपदसमासनाम
(क) मलेन सहितम्समलम्अव्ययीभाव
(ख)हरिताः च ये तरवः ( तेषां )हरिततरूणाम्कर्मधारय समास
(ग) ललिताः च याः लताः ( तासाम् )ललितलतानाम्कर्मधारयः समासः
(घ) नवा मालिकानवमालिकाकर्मधारयः समासः
(ङ) धृतः सुखसन्देशः येन ( तम् )धृतसुखसन्देशम्बहुब्रीहिः समासः
(च) कज्जलम् इव मलिनम्कज्जलमलिनम्कर्मधारयः समासः
(छ) दुर्दान्तैः दशनैःदुर्दान्तदशनैःकर्मधारयः समासः

प्रश्न 7. रेखाङ्कित-पदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(क) शकटीयानम् कज्जलमलिनं धूमं मुञ्चति।

उत्तर. शकटीयानम्  कीदृशम् धूमं मुञ्चति।

(ख) उद्याने पक्षिणां कलरवं चेतः प्रसादयति।

उत्तर. उद्याने   केषाम् कलरवं चेतः प्रसादयति ?

(ग) पाषाणीसभ्यतायां लतातरुगुल्माः प्रस्तरतले पिष्टाः सन्ति।

उत्तर. पाषाणीसभ्यतायां के प्रस्तरतले पिष्टाः सन्ति ?

(घ) महानगरेषु वाहनानाम् अनन्ताः पङ्क्तयः धावन्ति।

उत्तर. केषु/ कुत्र वाहनानाम् अनन्ताः पङ्क्तयः धावन्ति ?

(ङ) प्रकृत्याः सन्निधौ वास्तविकं सुखं विद्यते।

उत्तर. कस्याः सन्निधौ वास्तविकं सुखं विद्यते ?

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